प्रतिमास ५ अथवा ७ तारीखतक केन्द्रको पहुँचा देना चाहिए। यदि प्रत्येक व्यक्ति अपना कार्य नियमित रूपसे करे तो बहुत सारा समय बच जाये। लेकिन जब बहुत लोगोंको कोई कार्य सामूहिक रूपसे करना हो, तब यदि काम नियमित रूपसे नहीं किया जाये तो सब-कुछ अस्त-व्यस्त हो जाता है और बहुत समय नष्ट होता है। अतः मुझे उम्मीद है कि प्रत्येक कतैया, प्रत्येक उप-समिति और प्रत्येक प्रान्तीय कमेटी अपना दिन निश्चित कर लेगी तथा उसके अनुसार नियमपूर्वक अपना सूत भेजेगी।
नवजीवन, २-११-१९२४
२४१. तार: चित्तरंजन दासको
[ २ नवम्बर, १९२४ ]
आपका तार मिला। रविवार [१] को पंजाब मेलसे चलूँगा। आपके यहाँ ठहरूँगा। आशा है भीड़-भाड़ न होने देंगे। अब भी स्वास्थ ऐसा नहीं है कि अधिक श्रम, शोरगुल, भीड़-भाड़ तथा अन्य प्रदर्शन सह सकूँ।
अमृतबाजार पत्रिका, ३-११-१९२४
२४२. तार: घनश्यामदास बिड़लाको
दिल्ली
२ नवम्बर, १९२४
कैनिंग स्ट्रीट
कलकत्ता
मंगलवारको सुबह पंजाब मेलसे कलकत्ता पहुँच रहा हूँ।
गांधी
अंग्रेजी तार ( सी० डब्ल्यू० ५९९८ ) से।
सौजन्य: घनश्यामदास बिड़ला
- ↑ २ नवम्बर।