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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

करने, एक स्थानसे दूसरे स्थानको भेजने और उसका वर्गीकरण करनेके लिए एक बड़े संगठन और बहुत ज्यादा संगठन-शक्तिकी जरूरत है और जब कार्यकर्त्ता समयकी पाबन्दी रखते हुए काम नहीं करते तो कठिनाई दस गुनी बढ़ जाती है। हर महीने की पन्द्रह तारीख सूत भेजनेका आखिरी दिन है। यह तारीख कताई करनेवालोंको ज्यादा समय देनेके लिए नहीं, बल्कि विभिन्न समितियोंके मन्त्रियोंको पर्याप्त समय देनेके लिए निश्चित की गई थी। सारा काम ठीक ढंगसे तभी चल सकता है जब कताई करनेवाले निश्चित तारीखको सूत दे दें और कार्यकर्त्ता लोग निर्धारित तिथितक उसे एकत्र कर लें। हर प्रान्त अपने लिए तिथियाँ निश्चित कर सकता है, ताकि वह सूतके पैकेट अखिल भारतीय खादी बोर्डको समयपर भेज सके। अगर अखिल भारतीय खादी बोर्डकी व्यवस्थाके अनुकूल पड़े तो हर प्रान्तको चाहिए कि वह पैकेटोंको किस्तोंमें भेजने के बजाय हर महीने, जितना भेजना हो, एक ही साथ भेज दे। जबतक सारा काम, जिस नियमिततासे घड़ीकी सुई चलती है, उसी नियमिततासे नहीं किया जाता तबतक इसका सम्यक् संगठन कर पाना असम्भव है। जब हजारों छोटी-मोटी बातोंपर भी ध्यान देना जरूरी हो, तब समय सबसे महत्त्वका विषय बन जाता है। जिस तरह रेलवेमें समयका पालन करनेमें जरा-सी चूक होनेपर भारी अनर्थ हो सकता है, उसी तरह अखिल भारतीय खादी बोर्डकी समय-सूचीका ध्यान रखनेमें तनिक-सी चूकका परिणाम भी खादीको सार्वजनीन बनानेकी सम्भावनाके लिए उतना ही घातक सिद्ध हो सकता है। सच तो यह है कि सबकी सहमतिसे बनी समय-सूचीका नियमपूर्वक और पूरी बारीकीके साथ पालन किये बिना कोई संगठन सम्भव ही नहीं है। अतः मुझे भरोसा है कि कताईके संगठनमें लगे हुए तमाम कार्यकर्त्ता उस समय-सूचीका पालन धार्मिक निष्ठाके साथ करेंगे, जिसे उन्होंने स्वीकार या निर्धारित किया हो।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ६-११-१९२४

२४८. टिप्पणी

अध्यक्षीय पुरस्कार

आन्ध्र और उसके पीछे बंगाल, ये दोनों प्रान्त गुजरातके साथ लगभग बराबरीकी होड़ कर रहे हैं। अध्यक्षीय पुरस्कार जीतनेके लिए उनके पास अब सिर्फ एक महीनेका समय रह गया है। मुझे आशा है कि इनमें से कोई-न-कोई प्रान्त पुरस्कार ले ही जायेगा। लेकिन साथ ही मैं अपनी इस आशाको नहीं छिपाऊँगा---यह आशा भी उतनी ही बलवती है कि गुजरात आसानीसे हार नहीं मानेगा। पर सबको पुरस्कारकी शर्तें अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए। इनसे प्राप्त सूतकी मात्रामें वह सूत नहीं शामिल किया जायेगा जो निश्चित समयके बाद मिला होगा। इसमें किसी के द्वारा भेजे गये उस पैकेटको भी नहीं शामिल किया जायेगा, जिसमें न्यूनतम मात्रामें अर्थात् कमसे-कम दो हजार गज एक-सा कता और ठीकसे बटा हुआ सूत न होगा।