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भाषण: कलकत्ता नगर-निगम द्वारा दिये मानपत्रके उत्तरमें

उनकी कुरूपता तथा गन्दगीकी तुलना प्रासादोंके सुन्दर तथा साफ-सुथरे परिवेशसे किया करता था तब अपने-आपसे यही कहा करता था कि कलकत्ता नगर-निगमकी योग्यता और सफलताका माप-दण्ड इन प्रासादोंकी संख्या और सुन्दरता नहीं बल्कि उन गन्दी बस्तियोंकी दशा ही होनी चाहिए। तब मुझे यही लगता था कि नगर-निगमने अपने कर्त्तव्यकी अवहेलना की है। बादमें मुझे यहाँकी कुछ गोशालाएँ देखनेका भी अवसर मिला। वहाँका दृश्य देखकर तो मेरा दिल दहल गया। न केवल पशुओंको बहुत ही बुरी दशामें रखा जाता था, बल्कि ग्वाले लोग दूधकी आखिरी बूँदतक निकाल लेनेके लिए ऐसे निर्दयतापूर्ण अकथनीय तरीके अपनाते थे कि दूधके साथ-साथ खूनतक उतर आता था। ये छुटपुट चीजें मैं आपके ध्यानमें इसी आशासे ला रहा हूँ कि इस नगरमें जहाँ भी गंदगी हो उसे दूर करने और यहाँ रहनेवाले इतने सारे लोगोंको सस्ता और शुद्ध दूध सुलभ हो, इसकी पक्की व्यवस्था करनेके लिए आपके कार्य-कालमें गोशालाओंको नगरपालिकाके अधिकार क्षेत्रमें लानेकी दिशामें कोई बड़ा कदम उठाया जायेगा। मेरे विनम्र विचारसे नगर-निगमका यह बुनियादी कर्त्तव्य है कि वह ऐसी व्यवस्था करे जिससे लोगोंको शुद्ध वायु और जल, सस्ता और शुद्ध दूध और फल तथा करदाताओंके बच्चोंको निःशुल्क शिक्षा प्राप्त हो सके। मेरी यही इच्छा है कि यहाँका निगम भारतके सभी नगरोंसे आगे बढ़कर इस दिशामें कदम उठाये।

आपने १८१८ के विनियम ३ के अधीन अपने मुख्य कार्यपालक अधिकारीकी गिरफ्तारी की ओर ध्यान आकृष्ट किया है। आपके साथ मेरी पूरी सहानुभूति है। ऐसा तो कभी सोचा भी नहीं जा सकता कि जो सरकार सभ्य मानी जाती है उसके अधीन श्री सुभाष चन्द्र बोस- जैसे व्यक्तिको, बल्कि किसी भी व्यक्तिको, मनमाने ढंगसे गिरफ्तार करके जेलमें बन्द रखा जाये और उनके मामलेकी सुनवाईकी भी गुंजाइश न रखी जाये, बल्कि दरअसल उन्हें गिरफ्तारीका कारण जाननेका भी अवसर न दिया जाये। अराजकतावादी गतिविधियोंके सम्बन्धमें मेरे विचार सर्वविदित हैं। मैं अपने पूरे हृदयसे उनका विरोधी हूँ। मेरा विचार है कि उनसे भारतकी कोई भलाई नहीं हो सकती, लेकिन यह अवसर ऐसा नहीं कि इस विषयपर मैं अपने विचार व्यक्त करूँ। लेकिन इस सम्बन्धमें इतना और कह देनेके लिए आप मुझे क्षमा करेंगे कि सरकार द्वारा उठाये गये ये असाधारण कदम मुझे उतने ही घृणित लगते हैं, जितनी कि अराजकतावादी गतिविधियाँ। मैं आशा तो यहीं करता हूँ कि सरकार अपने कदम वापस ले लेगी और अपने मनमाने गैरकानूनी तरीकोंसे बाज आयेगी। आशा है श्री सुभाष चन्द्र बोस मुक्त कर दिये जायेंगे और उन्हें निगममें अपना कार्यभार सँभालकर पुनः वह सेवा कार्य करनेका अवसर मिलेगा, जैसा कि मुझे सभी सूत्रोंके अनुसार ज्ञात हुआ है, वे बहुत ही योग्यता, कार्य-क्षमता और ईमानदारी के साथ कर रहे थे(वन्दे मातरम्)।

[ अंग्रेजीसे ]
अमृत बाजार पत्रिका, ७-११-१९२४