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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अतः कताईकी प्रगति सुदृढ़ होनी चाहिए और उसमें दिन-प्रतिदिन वृद्धि होनी चाहिए। कताईके इस कार्यमें हमारी त्याग-शक्ति, देश-भक्ति समयके मूल्यको जानने की शक्ति, योजना-शक्ति, श्रद्धा और दृढ़ता आदि सबकी कसौटी निहित है।

कांग्रेसका अधिवेशन होनेमें अब कोई देर नहीं है। उसके पहले अब हमारे पास केवल दो महीने ही रह गये हैं। हमें सारा सूत पूरे हिसाबके साथ पन्द्रह तारीखसे पहले-पहले अखिल भारतीय खादी बोर्डको भेज देना चाहिए। मैं तो कातनेवालों की संख्यामें बहुत ज्यादा वृद्धि देखना चाहता हूँ। संख्याकी इस वृद्धिकी चाबी भी समयानुसार कार्य करनेमें ही निहित है।

[ गुजराती से ]
नवजीवन, ९-११-१९२४

२५७. पत्र: सतीश चन्द्र मुखर्जीको

९ नवम्बर, १९२४

प्रिय सतीश बाबू,

आप चले गये, यह जानकर बड़ा दुःख हुआ। मैं तो सोच रहा था कि आपसे मिलकर सभी तरहके विषयोंपर खूब जमकर बातचीत करूँगा। आशा है, ऐसा कोई विशेष गम्भीर समाचार नहीं मिला होगा, जिसके कारण आपको इस तरह अचानक जाना पड़ा। आशा है, कुष्टोदास इसका कारण नहीं था। मेरी तो सलाह है कि उसके बारेमें आप चिन्ता न करें। मैंने उसे चाँदपुर जानेकी अनुमति तभी दी, जब मुझे लगा कि उसके लिए वहाँ जाकर अपने परिजनोंसे मिलना अब ठीक है। उसने मुझसे पक्का वादा कर रखा है कि वह आगामी १८ तारीख से पहले-पहले या ज्यादासे-ज्यादा १८ तारीखतक लौट आयेगा। मैं डा० अन्सारीके घर, दरियागंज में टिका हुआ हूँ। आशा है श्री गरोडियाके घर आपका समय आनन्दपूर्वक बीता होगा।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

श्रीयुत सतीश चन्द्र मुखर्जी
११०, हाजरा रोड
कलकत्ता

अंग्रेजी पत्र ( जी० एन० ५६०८ ) की फोटो-नकलसे।