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२५८. पत्र: कृष्टोदासको

९ नवम्बर, १९२४

प्रिय कृष्टोदास,

तुम समझ सकते हो कि यह जानकर मुझे कितना दुःख हुआ होगा कि हमारे दिल्ली पहुँचनेसे दो ही घंटे पहले सतीश बाबू यहाँसे जा चुके थे। मैं बड़ा परेशान रहा और अब भी हूँ। मैंने बहुत सारे विषयोंपर उनसे जमकर बातचीत करने की उम्मीद लगा रखी थी। स्वराज्यवादियोंके साथ हुए समझौतेपर भी बातचीत करनी थी। मैं निश्चित तिथिसे पहले ही यहाँ तुम्हारी राह देखूँगा। हमें १९ तारीखको यहाँसे बम्बईके लिए चल देता होगा। आशा है, तुम्हारे पिताजी स्वस्थ सानन्द होंगे और चाँदपुर में तुम मजेमें होगे। हम लोग डा० अन्सारीके घर टिके हुए हैं।

तुम्हारा, बापू

श्रीयुत कृष्टोदास
११०, हाजरा रोड
भवानीपुर
डाकघर---कालीघाट
कलकत्ता
बंगाल

अंग्रेजी पत्र ( जी० एन० ५६०९ ) की फोटो नकलसे।

२५९. भेंट: एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडियाके प्रतिनिधिसे

दिल्ली
१० नवम्बर, १९२४

कलकत्तेमें स्वराज्य दलके नेताओं और गांधीजीके बीच हुए समझौते के प्रश्नपर एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडिया के प्रतिनिधिने इसी १० तारीखको दिल्ली लौटनेपर गांधीजीसे भेंट की थी। इस भेंटका निम्न विवरण प्रकाशित किया गया है:

प्रतिनिधिने उनसे पूछा कि आपने और श्री दास और श्री नेहरूने जिस समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं, यदि उसका उद्देश्य नरमदलीय और दूसरे लोगोंको कांग्रेसमें फिर सम्मिलित होनेका निमन्त्रण देना है तो आप सबने इसकी अपील निकालनसे पहले उनसे सलाह क्यों नहीं की? श्री गांधीने उत्तर दिया: