पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/३५९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३२३
पत्र: वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीको

नियमका पालन करोगी। मैं सबके मुँहसे यह बात सुनना चाहता हूँ कि अब तो लक्ष्मी समझदार हो गई है।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ६१००) से।

सौजन्य: छगनलाल गांधी


२६३. तार: बी० सुब्रह्मण्यमको[१]

[११ नवम्बर, १९२४ के पश्चात्]

पत्र मिला।[२] आपके साथ मेरी हार्दिक सहानुभूति है। मेरा खयाल है 'यंग इंडिया' में अधिकांश प्रश्नों के उत्तर मिल जायेंगे। अगले अंकमें और भी खुलासा हो जायेगा।[३] व्यक्तिशः मैं असहयोगी के रूपमें सदाकी भाँति दृढ़ हूँ।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ११७१६) की माइक्रोफिल्मसे।

२६४. पत्र: वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीको[४]

दरियागंज
दिल्ली
१२ नवम्बर, १९२४

प्रिय मित्र,

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी तथा अन्य सार्वजनिक संस्थाओंके प्रतिनिधियोंके बीच होनेवाली आगामी परिषद् के सम्बन्धमें मौलाना मुहम्मद अली द्वारा भेजा निमन्त्रण-पत्र आपने पढ़ा[५] ही होगा। आशा है, आप परिषद् में शामिल हो सकेंगे। उसका उद्देश्य यह है कि यदि किसी तरह सम्भव हो तो बंगालमें चलनेवाले दमनके सम्बन्धमें हर तरहके विचारकी अभिव्यक्तिका मौका दिया जाये। जहाँतक मैं समझ पाया हूँ इस दमनका लक्ष्य अराजकतावादी गतिविधियाँ नहीं, बल्कि सरकारको

  1. मन्त्री, प्रान्तीय खादी-बोर्ड, सीतानगरम् जिला गोदावरी, आन्ध्र
  2. ११ नवम्बरका पत्र।
  3. स्वराज्य दलके नेताओंके साथ जारी किये गये संयुक्त वक्तव्यके सम्बन्धमें।
  4. यह एक गश्ती-पत्र जान पड़ता है, जो जी० ए० नटेसन ( जी० एन० २२२१ ) और डा० सप्रूके नाम ( जी० एन० ७५९२ ) भी लिखा गया था।
  5. जी. एन. साधन सूत्रमें यहाँ 'देखा' शब्द है।