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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

परेशानीमें डालनेवाले संवैधानिक सुधारोंके आन्दोलनको कुचल देना है। परिषद् बुलानेका एक उद्देश्य इस बातका भी पता लगाना है कि अन्य मामलोंमें अपना पृथक अस्तित्व रखते हुए भी राष्ट्रीय विकासमें सहायक एक सर्वसामान्य रचनात्मक कार्यक्रमको पूरा करनेके लिए कांग्रेसके मंचपर सभी दलोंका मिल-जुलकर काम करना सम्भव है या नहीं। मुझे भरोसा है कि यदि आप परिषद्में शामिल हो सकें तो सभी दलोंको सन्तोषप्रद लगनेवाले एक निष्कर्षपर पहुँचनेमें आपका सहयोग और परामर्श परिषद्के लिए बड़ा मूल्यवान् साबित होगा।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
लेटर्स ऑफ श्रीनिवास शास्त्री

२६५. पत्र: जवाहरलाल नेहरूको

दिल्ली
१२ नवम्बर, १९२४

प्रिय जवाहरलाल,

मुझे तो बेशक यह जरूरी लगता है कि कार्यकर्त्ताओंका एक उड़न -दस्ता हो। उसमें हिन्दू और मुसलमान दोनों हों, जो खबर पाते ही संकट-ग्रस्त क्षेत्रोंमें जाँच-पड़तालके लिए चल पड़े। हम हमेशा इस बातका इन्तजार नहीं कर सकते कि कोई विशिष्ट व्यक्ति ही जाये। अब उदाहरणके लिए उसी मामलेको लो जो कल तुम्हारे पास भेजा गया है। जो बयान दिये गये हैं, वे यदि सच हों तो अपराधियोंका पर्दाफाश कर देना चाहिए; यदि वे झूठे हों तो अखबारके संवाददाताओंके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। जाँच तत्काल और पूरी-पूरी की जानी चाहिए। इस कामके लिए मैं महादेवको तैयार कर रहा हूँ और प्यारेलालको भी राजी कर रहा हूँ। प्यारेलालके मनमें व्यर्थ ही संशय है। क्या मंजर अली यह काम कर सकेंगे? इसके लिए उन्हें वेतन भी दिया जा सकता है। पारिश्रमिक स्वीकार करनेमें उन्हें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इसके कारण उनके कताईके काममें रुकावट डालना भी जरूरी नहीं होगा। उनका कार्यक्षेत्र सिर्फ संयुक्त प्रान्ततक ही सीमित रखा जा सकता है, हालाँकि मैं तो चाहूँगा कि जबतक इस क्षेत्रमें कार्यकर्त्ताओंकी एक पूरी टोली न उतर आये तबतक ऐसी कोई सीमा न बाँधी जाये। आशा है, कल तुम्हारे पास जो मामला भेजा है, उसकी जाँचके लिए तुम किसीको तत्काल भेज दोगे। तुम्हारे पास कुछ हफ्ते पहले जो मामला भेजा गया था, उसका क्या हुआ?

हृदयसे तुम्हारा,
मो० क० गांधी