ही है। हजीरा तो जितनी जल्दी हो सके पहुँच जाओ। मुझे १८ तारीखको बम्बईके लिए निकल जाना है। वहाँ तीन-एक दिन लगेंगे। फिर आश्रम जाऊँगा।
बापूके आशीर्वाद
द्वारा---मेसर्स स्ट्रॉस ऐंड कम्पनी
गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ४६०) से।
सौजन्य: वसुमती पण्डित
२७०. तार: अबुल कलाम आजादको[१]
[ १२ नवम्बर या उसके पश्चात् ]
गुरुवारकी सुबह बम्बई पहुँचने की कोशिश करें। मैं भी तभी पहुँच रहा हूँ।
गांधी
अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ११७१८) की फोटो-नकलसे।
२७१. समझौता
स्वराज्यवादियोंको जितना-कुछ देना मेरे लिए सम्भव था, वह सब दे सकनेकी, बल्कि मैंने या मेरे मित्रोंने जितना सोचा था उससे भी ज्यादा देनेकी शक्ति ईश्वरने मुझे दी, इसके लिए मैं ईश्वरका बड़ा आभारी हूँ और स्वराज्यवादियोंने मेरी जितनी मान ली, उसके लिए मैं उनके प्रति भी कृतज्ञ हूँ। मैं जानता हूँ कि रचनात्मक कार्यक्रमपर जितना जोर मैं देता हूँ उतना जोर बहुत-से दूसरे लोग नहीं देते। सदस्यताकी शर्तोंमें सख्ती लानेका प्रस्ताव बहुत-से लोगोंके लिए एक कड़वा घूँट था,
- ↑ यह तथा पाँच ऐसे ही तार पाँच अन्य व्यक्तियोंको भेजे गये थे। ये लोग थे---कोण्डा वैंकटप्पैया, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, जमनालाल बजाज, गंगाधरराव देशपांडे और जयरामदास दौलतराम। ये सभी तार १२ नवम्बरको, मोतीलाल नेहरूका निम्नलिखित तार प्राप्त होनेके बाद भेजे गये थे: "महादेवका पत्र मिला। आपसे और दाससे परामर्श करनेके बाद निमन्त्रण पत्र भेजनेमें बहुत देर हो जायेगी। मेरा सुझाव तारसे मुहम्मद अली द्वारा उल्लिखित संस्थाओंके प्रतिनिधियों और प्रमुख व्यक्तियोंको भी अपनी, दास और मेरी भोरसे निमन्त्रित कर दें।"