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मलाबार संकट-निवारण

आजतक नकद रकम ६,९९४ रु०, १३ आ०, ३ पा०, आये हैं। (देखें, अन्तिम पृष्ठ[१])। बम्बईकी शाखामें नीचे लिखे अनुसार रकम आई है:

एक सज्जन ५ रु०, डाह्यालाल हरिवल्लभ जोशी १० रु०, विश्वेश्वर मणिलाल १०१ रु०, एक सज्जन १ रु०।

मुझे आशा है कि यह रकम जिस प्रकार आनी शुरू हुई है उसी प्रकार जारी रहेगी।

कपड़े

कपड़ेके ढेरके-ढेर चले आ रहे हैं। उनकी कीमत लगाना मुश्किल है। ऐसे समय ये तमाम कपड़े बहुत काम आयेंगे। जब आसमान फट पड़ा है तब स्वदेशीविदेशीका खयाल नहीं रह सकता। इसलिए जो भी कपड़े मिल जायें, हमने उनको ले लेनेका विचार किया है। जो लोग बिना कपड़े के मारे-मारे फिरते हैं उन्हें भी विदेशी कपड़े मैं अपने हाथों तो नहीं दूँगा, यह कहनेकी हिम्मत मुझे नहीं होती। यदि आज भारत खादीमय हो गया होता तो मैं जरूर यही आवाज उठाता। जब हम यह शक्ति प्राप्त नहीं कर पाये हैं तब तरह-तरहके कपड़ोंसे लदे हुए हम लोग वस्त्र-विहीन लोगोंको कपड़ा पहनाते समय यह भेद कैसे रख सकते हैं? मैं तो इस संकट-निवारणके लिए सहयोग-असहयोगको भी भूल गया हूँ। मैं सरकारी कर्मचारियोंके मातह्त भूखोंकी सेवा करने के लिए तैयार हूँ और असहयोगियोंको तैयार रहनेकी सलाह देता हूँ। हाँ, इसका अर्थ यह नहीं है कि हमें सरकारी सभाओंमें भी जाना चाहिए। इस काममें हमें सही अन्दाज नहीं हो सकता। अतः हम तो सिपाहीका काम करेंगे। यदि हम चन्दा एकत्र कर सकें तो जहाँ उससे सरकारी मददमें बाधा न पड़ती हो और जहाँ सरकार न जा सके या न जाना चाहे वहाँ हम नम्रतापूर्वक मदद पहुँचायें। सरकार यदि चाहे तो बहुत मदद कर सकती है। फिर भी काम इतना बड़ा है कि इसमें गैर-सरकारी साहस और दानके लिए बहुत गुंजाइश है। अकेला गैर-सरकारी कोई उपक्रम इसका मुकाबला करने में असमर्थ है। परन्तु सरकारी मददके अलावा जो-कुछ काम बाकी रह जाये वह तो गैर-सरकारी सहायतासे ही हो सकता है। मैं वल्लभभाईसे इस बातपर सलाह-मशविरा कर रहा हूँ कि इस धनका अच्छेसे-अच्छा उपयोग किस तरह किया जाये। इसका निर्णय तो अधिकांशतः चन्देकी रकमकी तादादपर निर्भर होगा।

यदि 'नवजीवन' में किसीकी भेजी रकमकी पहुँच न छपे तो वे मुझे जरूर पत्र लिखें। तमाम रकमोंकी पहुँच देनेका संकल्प अवश्य ही कायम है। हमने छोटी-छोटी रकमोंको मिलाकर ही छापनेकी तजवीज की है। जो अपना नाम गुप्त रखना चाहें वे सूचित करनेकी कृपा करें।

कपड़े भेजनेवाले सज्जन नीचे लिखी हिदायतोंपर ध्यान देंगे तो सहूलियत होगी:

 
  1. नवजीवनका १७-८-१९२४ का अंक।