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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय

करनेका प्रस्ताव या स्वराज्यवादी दलको कांग्रेसमें पर्याप्त और हार्दिक मान्यता देनेकी बात अथवा खादी पहनना और स्वयं कातना या दूसरोंसे कतवाना, इसे सदस्यताकी शर्त बनानेवाला सुझाव कांग्रेस-जनों और दूसरे आमन्त्रित लोगोंको ठीक नहीं लगे तो उन्हें इन सबको अस्वीकार करके अपना कोई हल राष्ट्रके सामने पेश करनेमें तनिक भी संकोच नहीं करना चाहिए। गुण-दोषके अतिरिक्त अन्य किसी भी बातका खयाल करके अपने चिर-पोषित गहरे विश्वासोंकी उपेक्षा नहीं की जा सकती और न करनी ही चाहिए।

[ अंग्रेजी से ]
यंग इंडिया, १३-११-१९२४

२७२. समझौते पर टिप्पणियाँ

काम कैसे करना चाहिए

इन टिप्पणियोंमें, मैं स्वराज्यवादी दल और मेरे बीच हुए समझौतेके बारेमें, जितना मैंने अग्रलेखमें[१] लिखा है, उसके आगे लिखना चाहता हूँ। यदि आगामी बैठकमें हमारी सिफारिश मंजूर कर ली गई तो कांग्रेस-संगठनमें क्रान्तिकारी परिवर्तन हो जायेगा, इसके सदस्य सालमें एक या दो बार यन्त्रवत् मतदान-भर करनेवालोंके बजाय, दिन-प्रतिदिन काम करनेवाले लगनशील कार्यकर्त्ता बन जायेंगे और इससे प्रमुख राष्ट्रीय कार्यमें वास्तविक योग मिलेगा। इससे कांग्रेस उत्पादन, संग्रह और वितरणकी एक विशालशाला बन जायेगी। यह काम उद्यमशीलता, समयकी पाबन्दी, देशभक्ति, आत्मत्याग, ठोस ईमानदारी और अपेक्षित कौशलके साथ कोई एक ठीक पद्धति अपनाये बिना संगठित नहीं किया जा सकता। यद्यपि कांग्रेस द्वारा इस प्रस्तावके स्वीकार किये जानेतक चार आना देकर कोई भी व्यक्ति कांग्रेसका सदस्य बन सकता है, तथापि यदि आगामी बैठक इन प्रस्तावोंका अनुमोदन कर दे तो प्रत्येक प्रान्तको संगठन-कार्य इस तरह आरम्भ करना होगा, मानो कांग्रेसकी महासभाने कताई सदस्यता स्वीकार कर ली है। कहने का मतलब यह है कि वर्तमान सदस्योंको प्रस्तावित रद्दोबदलकी जानकारी देते हुए और कातना सीखने तथा चरखा प्राप्त करने आदिके लिए आवश्यक सुविधाएँ जुटाते हुए, उनके बीच प्रचार-कार्य किया जाना चाहिए। इस प्रश्नपर विचार करना होगा कि सूत किस प्रकार एकत्र किया जाये और कैसे उसका विनिमय किया जाये। आज हमारे देशमें सात हजारसे अधिक स्त्री-पुरुष स्वेच्छासे कताई कर रहे हैं और उनकी संख्या बढ़ भी रही है। इतना सब कांग्रेस कार्यकारिणी समितियोंके सदस्योंपर लागू होनेवाले एक प्रस्तावके अलावा इस संस्थाके किसी आम प्रस्ताव के बिना ही, सिर्फ इस पत्रके इन स्तम्भों द्वारा जनताको प्रेरणा देकर कर लिया गया है। अतः यह मानना युक्तियुक्त होगा, यदि कांग्रेसने कभी कताई सदस्यताके प्रस्ताव-

  1. देखिए पिछला शीर्षक।