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२७५. पत्र: कर्नल मेलको


स्थायी पता:
साबरमती
१३ नवम्बर, १९२४

प्रिय कर्नल मेल,

श्री प्रागजी के० देसाई[१] आजकल हैदराबाद सेन्ट्रल जेलमें कैदी हैं। उन्हें मैं अच्छी तरह जानता हूँ, दक्षिण आफ्रिकामें भी वे मेरे साथ थे। उन्हें सूरतमें कुछ दिन पहले भारतीय दण्ड संहिताकी धारा १२४-क के अधीन सजा सुनाई गई थी।

मुझे बताया गया है कि:

(१) श्री देसाईका वजन कम हो गया है।

(२) उन्हें दूसरे कैदियोंसे अलग रखा गया है और इसलिए जो लोग उनकी निगरानी रखते हैं, उनके अलावा और किसी भी आदमीसे उनका कोई सम्पर्क नहीं है।

(३) उन्हें जो सब्जियाँ दी जाती हैं, उनमें आम तौरपर घास-पात मिली होती है और वे खाने लायक नहीं होती।

(४) उन्होंने सूत कातनेकी अनुमतिके लिए अर्जी दी है, लेकिन उन्हें तैयार सूतकी बटाईका ही काम दिया जाता है। अगर अधिकारी लोग उन्हें पूनियाँ देनेको तैयार न हों तो अनुमति मिलनेपर मैं पूनियाँ भेजने की व्यवस्था कर सकता हूँ।

उक्त सूचनाओंको अखबारमें प्रकाशित करनेके बजाय मैं आपके पास ही भेज रहा हूँ ताकि आप कृपया उनके बारेमें जरूरी जाँच-पड़ताल करें।

यहाँ मैं यह बता दूँ कि श्री देसाई शाकाहारी हैं और जब वे जेलसे बाहर थे तब भी उनका शरीर कोई बहुत तन्दुरुस्त नहीं था। इसलिए मेरे विचारसे उन्हें हल्के लेकिन पौष्टिक आहारकी जरूरत है-जैसे दूध और डबलरोटी वगैरह।

आपका सच्चा,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ११७२१) की फोटो-नकलसे।

  1. सूरतसे प्रकाशित नवयुगके सम्पादक।