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२८५. पत्र: जवाहरलाल नेहरूको

१६ नवम्बर, १९२४

प्रिय जवाहरलाल,

तुम्हारे लिए ये चन्द शब्द इस मंगल-कामनाके साथ लिख रहा हूँ कि मातृभूमिकी सेवा और आत्म-साक्षात्कारके हेतु यह शुभ दिन[१] बार-बार आता रहे।

सम्भव हो तो पिताजी के साथ जरूर आना।

हृदयसे तुम्हारा,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
ए बंच ऑफ ओल्ड लेटर्स

२८६. वक्तव्य: कोहाटके प्रश्नपर[२]

दिल्ली
१६ नवम्बर, १९२४

श्री गांधीने रावलपिंडी जाने और कोहाटको समस्याके समाधानके बारेमें निम्नलिखित वक्तव्य दिया है:

मैंने देखा है, अखबारोंमें मुझसे यह अनुरोध किया गया है कि मुझे रावलपिंडी जाकर कोहाटके शरणार्थियोंसे मिलना चाहिए? मेरे पास सीधे उनके यहाँसे भी इसी आशयके सन्देश आये हैं। मुझे बड़ा दुःख है कि इस समय मैं उनकी बात रखनेमें असमर्थ हूँ। मेरा स्वास्थ्य अभीतक ऐसा नहीं हो पाया है कि लगातार यात्राएँ कर सकूँ; और बंगालके दमनके सम्बन्धमें होनेवाले सम्मेलनमें शरीक होनेके लिए बम्बईकी यात्रा तो मैं किसी भी हालतमें स्थगित ही नहीं कर सकता। लेकिन बम्बईसे लौटकर मैं तुरन्त रावलपिंडी जानेकी उम्मीद करता हूँ। फिलहाल, मैं शरणार्थियों को इतना भरोसा दिला देना चाहता हूँ कि उनका ध्यान मुझे बराबर रहा है। उपवासके बाद ज्यों ही मैं जरा चलने फिरने लायक हुआ, मैंने कोहाट जानेकी पूरी तैयारी की और उसके लिए इजाजत माँगी। अगर मुझे इजाजत मिल गई होती तो मैं अपना सबसे पहला फर्ज मानकर कुछ हिन्दू और मुसलमान मित्रोंके साथ

  1. जवाहरलाल नेहरूका जन्म-दिन, १४ नवम्बर।
  2. यह यंग इंडिया, २०-११-१९२४ में "टिप्पणियाँ" शीर्षकके अन्तर्गत "कोहाट रिफ्यूजीज़" उप-शीर्षकसे भी छपा था।