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भाषण: सर्वदलीय सम्मेलन, बम्बईमें

हम यहाँ उन मुद्दोंपर जोर देनेके लिए नहीं (हर्षध्वनि), बल्कि जिन मुद्दोंपर हम एक हो सकते हैं, उनकी तलाशके लिए इकट्ठे हुए हैं (हर्षध्वनि); और यह देखनेके लिए आये हैं कि जिन प्रश्नोंपर हममें सहमति है उनके सम्बन्धमें हम संयुक्त होकर एक साथ काम कर सकते हैं या नहीं। इनमेंसे एक मुद्देका सम्बन्ध बंगालके असाधारण अध्यादेश और १८१८ के विनियम ३ के अधीन की गई कार्रवाईसे है। जहाँतक मैं जानता हूँ, ज्यादातर लोगोंकी इच्छा किसी ऐसे निर्णयपर पहुँचनेकी जिसपर इस हालमें उपस्थित सभी दलोंके प्रतिनिधियोंकी सहमति हो। दुर्भाग्यवश मैं इस सम्मेलनमें आनेवाले सभी दलोंके प्रधानोंसे परामर्श नहीं कर सका हूँ। मुझे श्रीमती बेसेंटसे मिलनेका सौभाग्य और सुख मिला; लेकिन इरादा होते हुए भी मैं माननीय वी० एस० श्रीनिवास शास्त्री से नहीं मिल सका।

इसके बाद श्री गांधीने पिछली रात श्री जिन्नाके साथ अपनी भेंटका जिक्र किया और कहा कि श्री जिन्नाने मुझे आश्वासन दिया है कि इस प्रश्नपर समझौता होनेमें कोई कठिनाई नहीं होगी। प्रस्ताव अप्रत्याशित रूपसे सम्मेलनके सामने नहीं लाया गया है। श्री गांधीने कहा कि मैं प्रस्ताव करूँगा कि विभिन्न दलोंके प्रतिनिधियोंकी एक समिति बनाई जाये और यह समिति प्रस्ताव [के मसविदे] पर फौरन विचार करना शुरू कर दे और आज रातके १० बजेतक एक सर्वसम्मत निर्णयपर पहुँच जाये और उक्त प्रस्तावको कल सम्मेलनके सामने प्रस्तुत किया जाये।

[अंग्रेजीसे]
न्यू इंडिया, २२-११-१९२४

व्यक्ति फँसाये जा सकते हैं और वैधानिक राजनीतिक गतिविधियोंमें हस्तक्षेप किया जा सकता है, जैसा कि ऐसे ही कानूनी कदमोंके बार-बारके अनुभवसे प्रत्यक्ष सिद्ध हो चुका है।

(ख) यह सम्मेलन आग्रह करता है कि इस अध्यादेशको तुरन्त वापस ले लिया जाये और उसके अधीन गिरफ्तार किये गये लोगोंपर यदि जरूरी हो तो साधारण कानूनके अनुसार मुकदमा चलाया जाये।

(ग) यह सम्मेलन यह भी आग्रह करता है कि १८१८ का विनियम ३ जो सरकारको अपराध करनेवाले व्यक्तियोंको बिना वारंट, बिना मुकदमा और बिना कारण बताये गिरफ्तार करने और कैद करनेका अधिकार देता है, फौरन वापस ले लिया जाये।

(घ) यह सम्मेलन अपना यह दृढ़ विश्वास प्रकट करता है कि भारतकी वर्तमान राजनीतिक स्थिति जनताको उसके चिर-अपेक्षित उचित अधिकारोंसे वंचित रखनेके कारण है और स्वराज्यकी यथाशीघ्र स्थापना हो इसका एक-मात्र इलाज है।