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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दलोंको एक साथ ला खड़ा करूँ और इस प्रकार, सम्भव हो तो, दिखा दूँ कि मेरी असहयोगकी कल्पना घृणा या विद्वेषसे प्रेरित या इनपर आधारित नहीं थी। मैं सभी दलोंके सिर यह भार लाद दूँगा कि वे असहयोग और सविनय अवज्ञाको असम्भव कर दिखायें--लेकिन आलोचना और दमनके जरिये नहीं, बल्कि स्वराज्य प्राप्त करके। इसलिए समस्त दलोंके प्रतिनिधियोंसे मैं निवेदन करना चाहूँगा कि वे मौलाना मुहम्मद अलीके निमन्त्रणको स्वीकार करें और यदि कांग्रेस अधिवेशनमें प्रतिनिधियोंकी हैसियतसे शामिल न हो सकते हों तो दर्शकों के रूप में उपस्थित होकर कांग्रेसको अपने सलाह-मशविरेका लाभ दें।


कांग्रेस-जनोंके सिरपर एक भारी कर्त्तव्य निभाने की जिम्मेवारी है--चाहे वे कांग्रेस-जन स्वराज्यवादी हों या अपरिवर्तनवादी, हिन्दू हों या मुसलमान, ब्राह्मण हों या अब्राह्मण। उन्हें अपनी वेश-भूषामें ही इस बातका प्रमाण देना है कि वे कांग्रेसके कार्यक्रमपर अमल कर रहे हैं; उन्हें अपने दैनिक व्यवहारमें उसका पालन करना है। उन्हें सेवकोंकी हैसियतसे, दूसरोंसे सेवा माँगनेवाले स्वामियोंकी हैसियतसे नहीं, कांग्रेस-अधिवेशनमें शामिल होना है। उन्हें सभी वस्त्रोंका त्यागकर सिर्फ खादी पहननी पड़ेगी और इस प्रकार गत चार वर्षोंसे वे जिस खादीकी सीख दूसरोंको देते रहे हैं, उसमें अपने विश्वासका परिचय देना होगा। एक-दूसरेके प्रति अधिकसे-अधिक सहिष्णुता बरतकर और एक-दूसरेकी धार्मिक क्रियाओंका आदर करके उन्हें विभिन्न धर्मों और सम्प्रदायोंकी एकतामें अपने विश्वासका प्रमाण देना पड़ेगा। हिन्दुओंको कांग्रेसमें शामिल होनेवाले अस्पृश्योंका दूसरोंकी अपेक्षा ज्यादा खयाल करके अस्पृश्यता-निवारणमें अपने विश्वासका परिचय देना होगा।

हमारी बहुत-सी समस्याएँ हैं हिन्दू-मुस्लिम-वैमनस्य, बंगालका दमन, अकालियों- पर किये जा रहे क्रूरतापूर्ण अत्याचार, जिनकी छायासे भी छूत मानी जाती है, ऐसी जातियोंकी ओरसे चलाया जा रहा वाइकोम आन्दोलन; और सबसे बढ़कर स्वराज्यकी प्राप्ति। प्रतिनिधिगण तथा दर्शक लोग, बेशक, मुझसे इन तमाम समस्याओंका समाधान प्रस्तुत करनेकी अपेक्षा करें। मेरे पास कोई बना-बनाया समाधान नहीं है। समाधान तो प्रतिनिधियों और दर्शकों के ही पास है। मैं तो दिशा दर्शक स्तम्भकी तरह सिर्फ रास्ता ही दिखा सकता हूँ। उस दिशा-दर्शनको स्वीकार अथवा अस्वीकार करना तो कांग्रेसवालोंका काम होगा। ईश्वर हम सबकी सहायता करे!

[ अंग्रेजी से ]
यंग इंडिया, २७-११-१९२४