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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लिए एक बहुत बढ़िया व्यक्ति थे। बर्मा और मिस्रके बारेमें मैंने आज तुम्हें तार दिया है। दोनों की हालत, लगता है, ठीक नहीं है। लेकिन मुझे पर्याप्त जानकारी नहीं है।

सप्रेम,

मोहन

अंग्रेजी पत्र ( जी० एन० २६१७ ) की फोटो-नकलसे।

३१०. पत्र: बाबू भगवानदासको

[ २६ नवम्बर, १९२४ या उसके पश्चात् ][१]

मैं बनारसमें किसी ऐसे व्यक्तिको नहीं जानता जिसे यह निम्नलिखित नाजुक काम सौंप सकूँ। सुलतानपुर निवासी मंगलदत्तने कुछ महीने पहले इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था। उसने अपना हिन्दू नाम राम नारायण बताया था ताकि उसकी पहचान न हो सके। कहा जाता है कि वह दिल्लीके एक अनाथालयसे १० मुसलमान अनाथ बच्चोंको उड़ा ले गया है। उसे लगा कि धर्मान्तर स्वीकार करके उसने भूल की है और वह अपने असली नामसे डा० सुखदेवके जरिये आर्यसमाजी बन गया। वह डा० सुखदेवके साथ कुछ समयतक ठहरा था। कहा जाता है कि अब वह सुलतानपुर (जिले) में है। साथ ही मैं, उसके नाम डा० सुखदेवका एक पत्र रख रहा हूँ। क्या आप कृपया इस बातका पता लगा सकते हैं कि यह व्यक्ति मिल सकता है या नहीं? क्या वह दिल्ली आकर मुझसे मिलेगा? अगर आप उससे मिलें तो उसके विरुद्ध लगाये गये आरोपके बारेमें पूछ सकते हैं। हकीम साहबको पक्का शक है कि मुसलमान बच्चोंका अपहरण करनेके लिए ही उसने इस्लाम कबूल करनेका ढकोसला रचा था। वे इसमें आर्यसमाजियोंका हाथ देखते हैं। मुझे लगता है कि हिन्दू होने के नाते सचाईका पता लगाना और बच्चोंका पता लगाने में अनाथालयके अधिकारियोंकी सहायता करना हमारा कर्त्तव्य है। इस मामलेमें कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है क्योंकि मैं इसमें दिलचस्पी ले रहा हूँ। मुझे बताया गया है कि सुलतानपुर बनारसके बहुत निकट है। क्या आप किसी विश्वसनीय व्यक्तिको वहाँ भेज कर मंगलदत्तके बारेमें स्थानीय लोगोंसे पूछताछ करवानेकी कृपा करेंगे? वह एक शादीशुदा व्यक्ति बताया जाता है। मैं ४ दिसम्बरके लगभग पंजाब जानेवाला हूँ।

  1. गांधीजी साबरमती २६ नवम्बरको पहुँचे थे। इसीसे अनुमानतः यह पत्र उन्होंने २६ नवम्बर या उसके बाद ही लिखा होगा।