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क्या हममें एकता होगी?

आप लाला लाजपतरायकी मार्फत पत्र भेज सकते हैं। उसके बाद डा० अन्सारी, दिल्लीकी मार्फत। १ दिसम्बरतक मैं साबरमतीमें हूँ।

हृदयसे आपका,

[ पुनश्च: ]

आप देखेंगे कि मैं स्वराज्य योजनाको भूला नहीं हूँ।

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १०४९५) की माइकोफिल्मसे।

क्या हममें एकता होगी?

पिछले हफ्ते बम्बई में जो [ सर्वदलीय ] सम्मेलन हुआ, उसके परिणामस्वरूप सभी दलोंके बीच तत्काल एकता स्थापित नहीं हो पाई। इससे प्रकट होता है कि यह काम कितना कठिन है। दूसरी ओर एकता स्थापित करनेके उपायोंपर विचार करनेके लिए एक समिति भी नियुक्त कर दी गई, जिससे प्रकट होता है कि सम्मेलन इस विषयमें सर्वथा निराश हो अथवा इसे असम्भव मानता हो, ऐसा भी नहीं है। सच तो यह है कि जब श्री जयसुखलाल मेहताने यह प्रस्ताव पेश किया कि समिति १५ दिसम्बरतक अपनी रिपोर्ट दे दे तो काफी लोगोंने इसका समर्थन किया। उन सबको तत्काल सफलता पानेकी पूरी आशा थी। किन्तु, जो बहुत-से लोग टटोल-टटोलकर कदम रखनेवाले थे, उन्होंने रिपोर्ट पेश करनेके लिए ३१ मार्चका दिन निर्धारित किया। यदि उन्होंने इस काममें जो कठिनाई है, उसे महसूस करते हुए ऐसा किया हो तो प्रकारान्तरसे उन्होंने कोई स्वीकार्य समाधान ढूँढनेका भार भी समिति के सिर डाल दिया है। अखबारोंमें लिखनेवाले लोग जनमतका सही दिशा -दर्शन करके समितिको काफी सहायता पहुँचा सकते हैं। जिन संस्थाओंका समितिपर प्रभाव पड़ सकता है, उनमें लिबरल दल, इंडिपेंडेंट दल और नेशनल होमरूलवालोंका दल मुख्य हैं। डा० बेसेंटके नेतृत्वमें नेशनल होमरूलवालोंने तो उन बातोंको लगभग स्वीकार ही कर लिया है जो मेरे और स्वराज्यवादी दलके बीच हुए समझौतेमें तय हुई थीं और जिनकी पुष्टि अब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीने भी कर दी है। लिबरलों और इंडिपेंडेंटोंके मार्गकी कठिनाइयाँ प्रायः एक-सी हैं। इन कठिनाइयोंका सम्बन्ध कांग्रेसके ध्येय और निष्ठा-विषयक बुनियादी सिद्धान्त (क्रीड) से, कौंसिल-विषयक सारा कार्य स्वराज्यवादी दलको सौंप देनेसे और कताई सदस्यताकी शर्तोंसे है। कहते हैं, कांग्रेसका सिद्धान्त गोलमोल-सा है। मैं इस आरोपको साहसपूर्वक अस्वीकार करता हूँ। तथ्य है कि इसमें वर्तमान परिस्थितियोंको स्वीकार किया गया है। इसका मतलब यह है कि सम्भव हो तो साम्राज्यमें रहकर और आवश्यक हो तो उससे सारा सम्बन्ध तोड़कर भी स्वराज्य प्राप्त किया जाये। इसका उद्देश्य अंग्रेजोंके सिरपर इस बातकी जिम्मेदारी लादना है कि वे हमारे लिए साम्राज्यमें बरावरीके साझेदार बनने और बने रहनेकी स्थिति उत्पन्न कर दिखायें। इसमें इस बातकी निर्भीक घोषणा की गई है कि जरूरी

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