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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

करनेके लिए हमें अदालतमें जाना पड़ेगा; सो हम कैसे कर सकते हैं? इस मामलेसे हमें एक नसीहत मिलती है कि कारीगरोंसे हमें जो काम लेना हो, उसे लिखित रूपमें तय करके लिया जाये। ठेकेकी शर्तें पूरी तौरपर लिखी होनी चाहिए। वकीलका नाम मुझे सूचित करना।

बापूके आशीर्वाद

[पुनश्च:]

आनन्दानन्द अब बहुत उकताया हुआ है; थक भी गया है। उससे बात करना। अगर छगनलाल वहाँका कामकाज देख सके और आनन्दानन्दको विश्रामका अवसर दिया जा सके तो छगनलाल वहाँका काम सम्हाल ले। छगनलालकी गैर-हाजरीमें उसका काम कौन करता है? आनन्दानन्दको थोड़ा-आराम देना जरूरी है। उसे दूसरा काम दिया जा सकता है। मुझे लगता है कि आनन्दानन्दमें काम करनेकी बहुत शक्ति है। 'नवजीवन' के सम्बन्धमें रुपये-पैसेकी तथा अन्य चिन्ताओंसे उसने मुझे पूरी तरह मुक्त रखा है और उसका स्तर भी खूब ऊपर उठाया है। तुमने उसे देखने-परखने की कोशिश की है या नहीं सो मुझे नहीं मालूम। जो भी हो, इस विषयमें विचार करते समय महादेव, नरहरि वगैरहसे भी राय लेना।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ६०९८) से।

सौजन्य: राधाबन चौधरी

३२५. पत्र: मगनलाल गांधीको

[१ दिसम्बर, १९२४][१]

चि० मगनलाल,

खीमजीके मुकदमेमें हमें हारना हरगिज नहीं है। इसके लिए वे उपाय अवश्य किये जायें जो तुम्हें योग्य जान पड़े। झूठी सौगन्ध खानेकी बातको लेकर मुकदमा चलाने की जरूरत नहीं। लेकिन यदि तुम्हारी अनुपस्थितिके सम्बन्धमें हलफनामा माँगा जाये तो उसे दाखिल कर देना। इसके सम्बन्धमें वल्लभभाई तुम्हें विस्तृत रूपसे सलाह देंगे।

धुनकीके विषयमें जो उचित जान पड़े सो करना। मैं यह जरूर चाहता हूँ कि जो आश्रमवासी धुनना अच्छी तरह जानते हों, उन्हें कुछ और समय देकर ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि एक धुनकी सारा दिन चला करे। वे यह काम अभ्यासकी खातिर करें और दूसरे, यह जतलाने के लिए भी कि यही हमारा धन्धा है। तीसरे अपनी शक्तिके अनुसार पूनियाँ जुटानेके लिए। ये तीनों बातें इस समय अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं।

  1. मगनलाल गांधी द्वारा दी गयी तारीख।