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३२७. पत्र: प्रभाशंकर पट्टणीको
मार्गशीर्ष सुदी ६ [२ दिसम्बर, १९२४][१]
मैं यह पत्र आपको पंजाब जाते हुए गाड़ीमें लिख रहा हूँ। आपका पत्र मिला है। देशी राज्योंके बारेमें मैं कांग्रेसकी नीतिको स्पष्ट कर दूँगा। काठियावाड़ [राजनीतिक] परिषद्के पश्चात् मैं कुछ समय आपके आश्रय में रहकर शान्ति-लाभकी आशा कर रहा हूँ।
मोहनदास गांधी वन्देमातरम्
गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ३१८२) से।
सौजन्य: महेश पट्टणी
३२८. पत्र: अब्बास तैयबजीको
गाड़ी में
[२ दिसम्बर, १९२४]
भाई साहब,
आपका पत्र मिला। बीमार पड़नेका अधिकार केवल मुझे है, अन्य सेवकोंको बीमार न पड़ना चाहिए। उम्मीद है कि आपका पैर अब बिलकुल ठीक हो गया होगा। आपकी शिकायत समझता हूँ। मैं आपको कौंसिलमें जानेकी तकलीफ नहीं दूँगा। सबको मेरा वन्देमातरम्।
मोहनदास गांधी वन्देमातरम्
गुजराती पत्र (एस० एन० ९५५०) की फोटो-नकलसे।
- ↑ डाककी मुहरसे।