पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/४५४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४१८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

वादियोंकी कार्य-प्रणाली बुरी है तो भी उन्हें इस तरह काम नहीं करना चाहिए, मानो आधुनिक शासन-प्रणाली उससे बहुत ज्यादा खराब नहीं है। अहिंसामें विश्वास रखनेवाले व्यक्तिको भी यह तो कहना ही पड़ता है कि किन्हीं दो प्रतिस्पर्धियोंमें से कौन कम बुरा है और किसका पक्ष न्याययुक्त है। जापान और रूसके दरम्यान टालस्टायने अपना फैसला जापानके पक्ष में दिया था। इंग्लैंड और डच दक्षिण आफ्रिका के दर- म्यान डब्ल्यू० टी० स्टेडने[१] बोअरोंका साथ दिया था और इंग्लैंडकी पराजयके लिए ईश्वरसे प्रार्थना की थी। इसी तरह स्वराज्य-वादियों और सरकारके बीच, मुझे अपनी राय कायम करनेमें एक क्षण की भी देर नहीं लग सकती। स्वराज्यवादियोंने हमारे १९२० वाले कार्यक्रमके खिलाफ बगावत की थी, इसलिए उनके सम्बन्धमें हमारी धारणाके कलुषित हो जानेका खतरा है। अच्छा, थोड़ी देरके लिए मान लीजिए कि स्वराज्यवादी वाकई वैसे बुरे हैं जैसा कि सरकार हमें जँचाना चाहती है तो भी उनकी सरकार मौजूदा सरकारसे लाखों दरजे अच्छी रहेगी, क्योंकि इस सरकारके पास तो आचारकी स्वतन्त्रता या वास्तविक प्रतिकारके बिलकुल ही स्वल्प यत्नको भी कुचलने के अनन्त साधन तैयार रखे हुए हैं। मैं किसी बनावटी एकताको अपना लक्ष्य नहीं बना रहा हूँ। मैं तो सिर्फ यही चाह रहा हूँ कि कांग्रेसमें तमाम दलोंके प्रतिनिधि रहें जिससे कि हम एक-दूसरेकी रायको बरदाश्त करना सीखें, एक-दूसरेको अच्छी तरह समझ सकें, एक-दूसरेपर अपने कामोंका असर डाल सकें और यदि हम सबके लिए किसी एक ही कार्यविधिकी तजवीज न कर सकें तो कमसे-कम एक सर्वमान्य स्वराज्यकी योजना तो तैयार कर सकें।

हाँ, मैं इन मित्रकी आखिरी बातोंसे जरूर सहमत हूँ। निस्सन्देह कौंसिलोंका कार्यक्रम आतुर आदर्शवादियोंको उनके दुष्कृत्योंसे दूर नहीं रख सकता । यह शक्ति तो केवल अहिंसात्मक असहयोगमें ही है, क्योंकि वह स्वार्थ-त्यागके उच्चसे-उच्च भावको जाग्रत करता है और यह त्यागभाव ही उन्हें उनके मार्गकी भूलोंसे बचा सकता है। मैं प्रतिज्ञाके साथ कहता हूँ कि मैंने ऐसा कोई काम नहीं किया है जिससे किसी पक्के असहयोगीकी ताकत कम हो जाये। मैंने तो अपने ही साथ-साथ उनको भी आँचमें तपाया है। जरा वे निर्मल प्रेमकी बलिवेदीपर पूरी शक्ति-भर अपना बलिदान तो करें, फिर देखें कि सारी कांग्रेस एक मनसे उनका अनुसरण करती है या नहीं। पर ऐसा प्रेम अपना काम अदृश्य रूपसे ही किया करता है। जो शक्ति जितनी ही उत्तम होती है, उतनी ही वह सूक्ष्म और निःशब्द होती है। प्रेम ही संसारमें सबसे अधिक सूक्ष्म शक्ति है। यदि असहयोगीके पास वह शक्ति है तो यह उसके तथा औरोंके लिए अच्छा ही है।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ४-१२-१९२४
  1. प्रसिद्ध अंग्रेज पत्रकार; ग्रेट ब्रिटेनमें शान्ति-आन्दोलनके एक उत्साही समर्थक।