पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/४५५

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३३१. स्थगित करें या त्याग दें ? जाये, इस प्रश्नका उत्तर पूर्णतः असहयोगमें कभी विश्वास नहीं सदाके लिए त्याग दिया जाये । जिसने उसपर जब कभी और । असहयोग स्थगित किया जाये या त्याग दिया उत्तर देनेवालेकी मनःस्थितिपर निर्भर है। जिसका रहा वह तो स्वभावतः यहीं चाहता है कि उसे जिसका मेरी तरह उसमें सदा विश्वास रहा है और जहाँ कहीं आवश्यकता हुई उसका आचरण किया है और इसलिए जो उसपर आरूढ़ है, वह तो कठिनाईसे ही केवल उसको स्थगित करनेके लिए राजी किया जा सकता है और निश्चय ही वह ऐसा करनेके लिए इस आशासे ही राजी होगा कि कभी-न-कभी वह सन्देह या अविश्वास करनेवालोंको अपने पक्ष में ला सकेगा और इस कार्यक्रमको राष्ट्रीय रूपमें अमलमें लाकर सफल बना सकेगा । इसलिए असह- योगका स्थगन ऐसी तटस्थताकी अवस्था है जिसको सभी दल स्वीकार कर सकते हैं। जो लोग अहिंसात्मक असहयोगकी शक्ति और आवश्यकतामें विश्वास करते हैं उनको यह आशा रखनेकी छूट होनी चाहिए कि यदि इस कार्यक्रमको अवसर आने- पर फिर हाथ में लेनेकी आवश्यकता हुई तो राष्ट्र इसपर फिर अमल करेगा और जिनका इसमें विश्वास नहीं है वे स्थगनकी इस अवधि में, इसमें जो दोष मानते हैं उनका प्रचार करने के लिए और कांग्रेसजनोंसे अपने विचारोंको मनवानेके लिए स्वतन्त्र होंगे । असहयोगके स्थगित होनेसे उन्हें यह एक बढ़िया अवसर मिलता है । मेरी राय तो यह है कि जो कांग्रेस पूरी असहयोगी रही है वह असहयोगको स्थगित करनेसे आगे जा भी नहीं सकती; उससे ऐसी आशा नहीं की जा सकती। मैं पूरी असह्- योगी कांग्रेस' इसलिए कहता हूँ कि स्वराज्यवादी भी असहयोगमें विश्वास रखनेका दावा करते हैं। यदि यह कोई रहस्य हो तो मैं आपको एक रहस्य बताता हूँ । अबसे तीन महीने पहले जो पहला मसविदा तैयार किया गया था उसकी भूमिकामें असह- योग में पुनः विश्वास प्रकट किया गया था । वह भूमिका स्वराज्यवादियोंको पूरी तरह मान्य थी। किन्तु वह पीछे सबकी सलाहसे इसलिए निकाल दी गई कि नरम दल- वालों और दूसरे लोगोंको कार्यक्रममें शामिल होने में आसानी हो जाये । कुछ मित्रोंने यह कहा था कि नरमदलीय और राष्ट्रीय होमरूलवादी उस भूमिकाके पक्षमें मत देने में आनाकानी कर सकते हैं। असलमें समझौतेका अन्तिम मसविदा तैयार करनेमें भाग लेनेवाले सभी लोगोंने इस बातकी विशेष सावधानी रखी थी कि जो लोग कांग्रेससे बाहर रहे हैं उनकी जरूरतें समझ ली जायें और पूरी की जायें। मैं जानता हूँ कि ऐसा होनेपर भी समझौतेसे विभिन्न राजनीतिक दलों और समुदायोंको पूरा सन्तोष नहीं मिलता है । इस दोषका कारण यह नहीं है कि इसको दूर करनेका उद्योग नहीं किया गया या दूर करनेकी इच्छा नहीं थी, बल्कि इसका कारण यह है कि स्वराज्यवादियोंको और मुझे अपने-अपने सिद्धान्तोंका अथवा इसकी अपेक्षा मर्यादा शब्द अधिक अच्छा प्रतीत हो तो अपनी मर्यादाओंका ध्यान रखना पड़ा था । Gandhi Heritage Portal