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३३३. फीजीकी वह रिपोर्ट

सम्पादक
'यंग इंडिया'
महोदय,

लगभग तीन वर्ष पहले भारत सरकारने एक आयोग फोजी द्वीपसमूहको भेजा था जिसका उद्देश्य वहाँ रहनेवाले भारतीयोंकी दशाकी जाँच करना...था। कमीशन...ने सितम्बर १९२२ में अपनी जाँचकी रिपोर्ट भारत-सरकारको दे दी। अतः भारत-सरकारको इस रिपोर्टको मिले दो वर्षसे ऊपर हो चुके हैं। केन्द्रीय विधान सभाके पिछले अधिवेशनमें श्री गयाप्रसाद सिन्हाने इस रिपोर्टके बारेमें भारत-सरकारसे कुछ प्रश्न किये। उनमें से तीन ये थे:

(ग) भारत-सरकार इस रिपोर्टको कब प्रकाशित करनेका इरादा रखती है।

(घ) क्या यह सही है कि औपनिवेशिक कार्यालयने रिपोर्टमें प्रकट किये गये कुछ विचारोंके खिलाफ आपत्ति उठाई है?

(ङ) क्या सरकार इस विषयपर भारत-सरकार और औपनिवेशिक कार्यालयके बीच जो पत्र-व्यवहार हुआ है उसे पटलपर रखनेकी कृपा करेगी?

श्री जे० डब्ल्यू० भोरने सरकारकी ओरसे उत्तर दिया:

(ग) रिपोर्टके प्रकाशनका सवाल विचाराधीन है।

(घ) और (ङ) इन प्रश्नोंके जवाब के लिए प्रश्न (ग) के उत्तरको ध्यानमें रखते हुए माननीय सदस्य जोर नहीं देंगे, मैं ऐसी आशा करता हूँ।

श्री भोर द्वारा श्री गयाप्रसाद सिन्हासे...उत्तरके लिए जोर न देनेके अनुरोधसे हमारे मनमें सन्देह पैदा होता है।

भारतीय जनताको यह माँग करनेका अधिकार है कि आयोगकी रिपोर्ट अविलम्ब प्रकाशित की जाये।

आपका,
बनारसीदास चतुर्वेदी[१]

मैं आशा करता हूँ कि श्री सिन्हाको विधान सभाकी आगामी बैठकमें अपने प्रयत्नमें अधिक सफलता मिलेगी।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ४-१२-१९२४
  1. श्री बनारसीदास चतुर्वेदीके इस पत्रके कुछ अंश छोड़ दिये गये हैं।