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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सीधा-सादा तथ्य सीख लेना चाहिए कि अत्याचारी लोगोंको अपने कुकृत्योंकी निर्दयताका कोई भान नहीं होता। हिन्दू-धर्मकी अस्पृश्यता तो शायद आधुनिक साम्राज्यवादियोंकी अस्पृश्यतासे भी खराब है। हमने उसे जिस कड़ाईसे वंशानुगत बना दिया है, वह उसके साम्राज्यवादी संस्करण में अभी नहीं दिखाई पड़ती। अच्छा हो यदि बाबू कालीशंकर कृपया याद रखें कि अंग्रेज साम्राज्यवादी अपनी अस्पृश्यताके लिए वही बचाव पेश करते हैं जो हिन्दुओंमें विद्यमान अस्पृश्यताके लिए वे स्वयं करते हैं। इसलिए ज्यादा अच्छा रास्ता यही है कि इन दोनोंमें कौन ज्यादा खराब है, यह पता चलानेके बजाय हम अपनी प्रथाकी बुराईको मानें और उसका उन्मूलन करनेका प्रयत्न करें।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ११-१२-१९२४

३३६. केनियाके हैरी थुकू[१]


[५ दिसम्बर, १९२४][२]

बेचारा हैरी थुकू! श्री एन्ड्रयूजको प्रेषित उसकी अपीलसे और मेरे द्वारा इन स्तम्भोंमें उसके प्रकाशनसे सत्ता-लोलुप लोगोंके शिकार बेचारे हैरी थुकूको कोई राहत नहीं मिल पायेगी। फिर भी, यदि वह कभी इन पंक्तियोंको देख पाये तो इस खयालसे शायद उसे कुछ सांत्वना मिलेगी कि दूर देश भारतमें भी लोग उसके निर्वासन और मुकदमेका हाल सहानुभूति के साथ पढ़ेंगे। उसे शायद यह जानकर भी कुछ सन्तोष मिल सकता है कि बहुत-से लोग, जो शायद उसीकी तरह निर्दोष हैं, आज बिना मुकदमा चलाये बंगालकी जेलोंमें बन्द हैं और उन्हें ऐसी कोई आशा भी नहीं है कि निकट भविष्यमें उनपर मुकदमा चलाया जायेगा।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १८-१२-१९२४
  1. यह सी० एफ० एन्ड्रयूजके एक लेखकी टिप्पणीके रूपमें लिखा गया है। लेख यहाँ नहीं दिया जा रहा है। उसमें श्री एन्ड्रयूजने पूर्व आफ्रिकाके हैरी थुकू नामक एक तेजस्वी वतनी युवकके साथ किये गये अत्याचारका विवरण दिया था। थुकूसे श्री एन्ड्रयूजकी मुलाकात नैरोबीमें हुई थी, जहाँ उनके आगमनपर उसने उनके भाषणके लिए एक सभाका आयोजन किया था। एक ही वर्ष बाद श्री एन्ड्रयूजने अखबारोंमें पढ़ा कि एक वारदातमें वतनी लोगोंपर गोरी सरकारने गोलियाँ चलाई और थुकूको गिरफ्तार करके बिना मुकदमा चलाये किसुमायू भेज दिया गया। थुकूने उस समय श्री एन्ड्रयूजसे मदद माँगी थी और कहा था कि ब्रिटिश प्रजाजनकी हैसियतसे उसका यह अधिकार है कि उसपर मुकदमा चलाये बिना उसे सजा न दी जाये। फिर, इस लेखके प्रकाशनसे कुछ समय पूर्व उसने अपनी अपील दुहराई थी और बताया था कि उसे क्यों निर्वासित किया गया। उसकी माँग थी कि गोरे मालिकोंके बागानोंमें कुमारी आफ्रिकी लड़कियोंसे काम न लिया जाये, क्योंकि इससे अनैतिकता फैलती है। उसकी यह भी माँग थी कि वतनी लोगोंको कोड़े लगाना बन्द होना चाहिए।
  2. देखिए अगला शीर्षक।