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३३८. भाषण: अमृतसर के स्वर्ण मन्दिर में

५ दिसम्बर, १९२४

महात्मा गांधीको अकाल तख्तकी ओरसे एक सरोपा भेंट किया गया। उसे स्वीकार करनेके लिए वे 'सत श्री अकाल' के नारोंके बीच खड़े हुए। फिर उन्होंने धीमे स्वरमें बैठे-बैठे भाषण किया। उस समय चारों ओर एकदम सन्नाटा छाया हुआ था, इसलिए उनकी आवाज कमजोर होते हुए भी बिलकुल साफ सुनाई पड़ रही थी। उन्होंने कहा, सरदार मंगलसिंहने कहा है कि उनका बयान सुनकर मेरी आँखोंमें आँसू भर आये। लेकिन वास्तवमें ऐसा नहीं हुआ। मैं इन कष्टोंपर इसलिए आँसू नहीं बहाता क्योंकि मुझे मालूम है अभी तो हमारे ऊपर इनसे भी बड़ी विपत्तियाँ आनेवाली हैं। मेरे आँसू बहानेसे कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि तब मैं काम नहीं कर पाऊँगा। मेरा दिल पत्थरका बन गया है और मैं चाहता हूँ कि आप लोग भी अपने दिलोंको इसी तरह मजबूत बनायें। मैं जानता हूँ कि पंजाबके नये शासक (सर मेलकम हेली) दूसरी ही तरहके मनुष्य हैं और मैंने उन्हें ठीक-ठीक पहचान लिया है। मैं जानता हूँ कि वे क्या करना चाहते हैं; परन्तु मैं अकालियोंको आगाह करता हूँ कि आप उनके भाषणोंके धोखेमें न आयें। मुझे यकीन है कि अगर जनता अपनी सारी शक्तियाँ एक साथ समेटकर प्रयत्न करे तो भारतको आजाद करानेमें देर नहीं लगेगी और तब गुरुद्वारेकी समस्याका भी निबटारा जल्दी ही हो जायेगा। जब मैं उस दुःखद घटनाके तुरन्त बाद ननकाना साहब गया था, तब मैंने सिखोंसे जो-कुछ कहा था, उसे मैं आज भी दोहराना चाहता हूँ। मैंने कहा था कि अगर सिख लोग इस बृहत्तर गुरुद्वारेको--अपनी मातृभूमिको---आजाद करानेका प्रयत्न करें तो वे अपने गुरुद्वारोंको बिना किसी ज्यादा झंझटके आजाद करा सकते हैं। हिन्दुओं, मुसलमानों और सिखोंको अलग-अलग दिशाओंमें अपनी ताकत नहीं लगानी चाहिए। मैंने सरदार मंगलसिंहको गुरुद्वारोंके सवालके बारेमें सब कुछ बता दिया है; परन्तु मैं यहाँ एक बात और कहना चाहता हूँ। आप अपनी लड़ाईको सत्याग्रह कहते हैं। सचमुच देखा जाये तो सत्याग्रह और असहयोग दो अलग-अलग चीजें नहीं हैं। सत्याग्रहका अर्थ है 'सत्यका बल'। इस बलको कोई भी दूसरी ताकत कुचल नहीं सकती, क्योंकि अगर इसको कमजोर किया जा सके तब तो ईश्वरको भी कुचला जा सकता है और मेरा विश्वास है कि ईश्वरको कुचलना नितान्त असम्भव है। सत्यका बल केवल अपवित्रतासे ही कमजोर हो सकता है; परन्तु सत्यमें अपवित्रताके लिए कहीं कोई गुंजाइश नहीं है। इसी तरह सत्याग्रहमें अपवित्रताके लिए कोई गुंजाइश नहीं होती। इसमें आपको किसी भी चीजको छिपाना नहीं चाहिए। पैसा हो या कागज