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३४०. भाषण: अमृतसर के खिलाफत सम्मेलन में

६ दिसम्बर, १९२४

महात्माजीने "हिन्दू-मुसलमानकी जय" के कर्ण-भेदी नारोंके बीच खड़े होकर कहा कि मुझे मजबूर होकर[१]आपकी कार्यवाहीमें बाधा डालनी पड़ रही है। मुझे हिन्दू-मुसलमान समस्याके बारेमें अन्य नेताओंसे सलाह-मशविरा करने लाहौर जाना है। यह कहना गलत है कि दंगोंके लिए गुण्डे जिम्मेदार हैं। इसके विपरीत इसके लिए नेता--जैसे, डा० किचलू, अली भाई, हकीम साहब और अन्य नेता लोग-- भी समान रूपसे जिम्मेदार हैं। दिमागी तौरपर तो वे उनमें हिस्सातक लेते हैं। मैं चाहता हूँ कि दोनों जातियोंका हृदय-परिवर्तन हो और दोनोंके बीच पहले जैसा सौहार्द स्थापित हो जाये। अध्यक्ष (श्री जफर अली) ने मेरी प्रशंसा करनेके लिए कुछ हिन्दू नेताओंके बारेमें जो बातें कहीं, वे मुझे बम-विस्फोट जैसी मालूम हुई हैं और वे ठीक भी नहीं हैं। मैं कोई बड़ा आदमी नहीं हूँ और अपनी प्रशंसा सुनना पसन्द नहीं करता। मुझे पण्डित मालवीयजीके खिलाफ कही गई बातोंसे बड़ा आघात लगा है और उनसे मेरा दिल टूट गया है। मैं कभी विश्वास ही नहीं कर सकता कि मालवीयजी मुसलमानोंके दुश्मन हैं और हिन्दू-मुसलमान एकताके मार्गमें बाधक हैं। मैं मालवीयजीके बारेमें आपकी राय बदलना चाहता हूँ। हिन्दू लोग मालवीयजीको अत्यन्त सम्मान और प्रेमकी दृष्टिसे देखते हैं, इसलिए आपको मालवीयजीकी बुराई करनेसे समस्याके हमें कोई मदद नहीं मिलेगी। लोग मुझसे कहीं ज्यादा मालवीयजीपर आस्था रखते हैं। मुझे तो लोग मुसलमान मानने लगे हैं। अलबत्ता, उनकी यह धारणा गलत है।

हिन्दुओंके लिए मालवीयजीका साथ छोड़ देना उसी तरह असम्भव है जिस तरह मुसलमानोंके लिए, मेरे कहनेसे हकीम अजमल खाँ और अली भाइयोंका साथ छोड़ना। मैं आपको याद दिला दूँ कि बी-अम्माँकी मृत्युसे हिन्दुओं को भी दुःख हुआ है। मुसलमानोंसे मेरा अनुरोध है कि वे अपने पैगम्बरकी यह सीख याद रखें कि उनको अपने दुश्मन तकके साथ भाई-चारेका बरताव करना चाहिए; और उसपर भरोसा रखना चाहिए, क्योंकि इससे एक-दो सालके अर्सेमें उसका हृदय-परिवर्तन हो जायेगा। मैंने जो कुछ पण्डित मालवीयके बारेमें कहा है, वह लाला लाजपतरायपर भी उतना ही लागू होता है। मैं उनके हृदयको बड़ी अच्छी तरह जानता हूँ। मैं

  1. गांधीजीने यह भाषण जफर अलीके इस कथनके उत्तर में दिया था कि मदनमोहन मालवीय, लाजपतराय और अन्य हिन्दू नेता बाहरसे तो हिन्दू-मुस्लिम एकताकी बात करते हैं किन्तु मनसे उसकी इच्छा नहीं करते।