पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/४६६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४३०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जब भी लाहौर जाता हूँ, लालाज़ीके साथ ही ठहरता हूँ और मैं कह सकता हूँ कि लालाजी हिन्दू-मुसलमान एकताके जबरदस्त हिमायती हैं। पर साथ ही मैं आप सबको यह भी जता देना चाहता हूँ कि जो हिन्दू किसी मुसलमानके साथ दोस्ताना ताल्लुक पसन्द नहीं करता उसे भी मैं दुश्मन नहीं बनाना चाहता; और इसी तरह किसी हिन्दूके प्रति वैसा ही रुख रखनेवाले मुसलमानके प्रति भी मेरा दृष्टिकोण यही है। हिन्दुओंने मुझसे कहा है कि उनको अफगानोंके हमलेका डर है। मुझे खुद तो उसका जरा भी डर नहीं है, क्योंकि वे ज्यादासे-ज्यादा यही कर सकते हैं कि मेरा सिर धड़से अलग कर दें, किन्तु वे मुझे मेरे धर्मसे च्युत तो नहीं कर सकते। हिन्दुओंका यह डर बिलकुल बेबुनियाद है। इस सूबेमें कई उर्दू अखबार ऐसे हैं जो, मेरी रायमें, जहर फैलाते हैं और आगे बढ़कर हिन्दू-मुसलमान एकताको जड़ें काटते हैं। सचमुच ऐसे अखबारोंपर नजर भी डालना शर्मनाक है। अगर मुसलमान इस्लामको बचाना चाहते हैं तो उनको हिन्दुओंके साथ एक हो जाना चाहिए। हिन्दुओंसे में कहना चाहता हूँ कि वे सारे मुसलमानोंको हिन्दुस्तानसे बाहर नहीं निकाल सकते। उनको अपना अस्तित्व बनाये रखनेके लिए मुसलमानोंके साथ एक हो जाना चाहिए। भारत [की परतन्त्रता] अन्य कई स्वतन्त्र देशोंकी स्वाधीनता नष्ट करनेके लिए जिम्मेदार है और हमें आजादी मिलनसे भारतका विदेशी शोषण खत्म हो जायेगा और हिन्दू-मुसलमान एकता स्थापित हो जायेगी। नेताओंका काम यही है कि वे दोनों जातियोंमें दिली एकता कायम करें और कमजोरों और बलवानोंके बीच दोस्ताना सम्बन्ध बनायें। ईश्वर इस लक्ष्यको प्राप्त करनेमें और अपने हृदयोंको परिवर्तित करनेमें हमें सहायता दे।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दुस्तान टाइम्स, १२-१२-१९२४

३४१. दीक्षान्त भाषण: पंजाब कौमी विद्यापीठमें[१]

६ दिसम्बर, १९२४

महात्मा गांधी बोलने के लिए खड़े हुए तो जन-समुदायने जय-जयकारके तुमुल-नादसे उनका स्वागत किया। कमजोरीके कारण उन्हें बैठे-बैठे भाषण करना पड़ा। मंचपर एक कुर्सी रख दी गई थी। गांधीजीने उसीपर आसन ग्रहण किया। उन्होंने हिन्दीमें भाषण दिया।[२] भाषणका एक-एक शब्द भवनमें हर जगह साफ सुनाई पड़ रहा था।

  1. लाहौर के ब्रैडलो हॉलमें हुए उसके तीसरे दीक्षान्त समारोहमें; मदनमोहन मालवीय और शौकत अली भी मौजूद थे।
  2. हिन्दी भाषण उपलब्ध नहीं है।