पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/४९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१५
टिप्पणियाँ

भावसे कातनेका यह आन्दोलन फैल जाये तो महीने-दर-महीने उसका बड़ा आश्चर्यकारी फल दिखाई देगा। इनमें से किसी भी व्यक्तिने ३,००० गजसे कम सूत नहीं भेजा है। बहुतोंने ५,००० गज भेजा है। एक सज्जनने तो ४३,००० गज भेजा है। यह बहुत बड़ा काम है। सूत भी बराबर अच्छा और बटदार है। पाठकोंको यह समझना चाहिए कि सूत कातना उनका पेशा है। उन्हें बहुत थोड़े समयका ही अभ्यास है। एक दूसरे सज्जनने १२,००० गज सूत दिया है। उन्होंने २४,००० गज काता था। लेकिन १२,००० गज खुद अपने उपयोगके लिए रख लिया है। एक तीसरे सज्जनने यद्यपि काता तो है २७,००० गज पर भेजा है ११,००० गज ही। ये दोनों कार्य-व्यस्त प्रतिनिधि है और बड़ी जिम्मेवारीके पदोंपर हैं। हर रोज बगैर तीन घंटे काते वे इतना अधिक सूत नहीं भेज सकते थे। उनका कहना है कि हमारे सुपुर्द जो दूसरा काम है हमने उसको नुकसान पहुँचाकर यह सूत नहीं काता। उनके इतना काम कर सकनेका कारण यह है कि वे सुबह जल्दी उठ बैठते हैं और अपने एक-एक मिनटका हिसाब रखते हैं। एक युवकने ४६,००० गज सूत काता है; किन्तु सिर्फ उतना ही भेजा है जितना कमसे-कम माँगा गया था। वह अधिक नहीं भेज सकता था। मैं यह भी कह देता हूँ कि बहुतोंने ३,००० गजसे अधिक सूत काता है लेकिन वे खुद अपने कपड़े के लिए भी कातते हैं और इसलिए कमसे-कम जितना माँगा गया उससे अधिक नहीं भेज सकते। जिलोंके हिसाबसे खेड़ा जिलेका नम्बर पहला है और पंचमहालका आखिरी।

अली भाइयोंका हिस्सा

बड़े भाईने खूब प्रयत्न किया लेकिन वे सिर्फ एक तोला खराब कता हुआ सूत ही भेज पाये हैं। यदि पाठकोंकी तरफसे मुझपर इन भाइयोंके प्रति पक्षपात रखनेका दोष लगाये जानेका भय न होता तो मैं यह कहता कि जो हमेशा घूमता-फिरता रहता है और जिसका शरीर कातने के लिए लगातार बैठे रहने योग्य नहीं, उसके लिए यह कुछ बुरा नहीं। फिर भी मौलाना शौकत अलीने मुझे यह यकीन दिलाया है कि वे अगले महीने अपना हिस्सा पूरा-पूरा भेज देंगे। मौलाना मुहम्मद अलीने कुछ अधिक किया है। उनकी बात उन्हीं के मुँहसे सुन लीजिए:

मैं, शौकतके साथ कांग्रेसके सभापतिके कातनेकी कोशिशका जो कुछ भी मामूली-सा नतीजा निकला है, भेज रहा हूँ। मेरे कातनेकी कहानी इस तरह है। मैंने जिन्दगी-भरमें एक बार भी सूत नहीं काता था किन्तु अहमदाबादके बाद मैंने तय किया कि जिस रोजसे में दिल्लीमें पक्की तरहसे रहने लगूँगा उसी दिनसे कातना शुरू कर दूँगा। लगातार सफर करनेके बाद मुझे बीमारीने घेर लिया। लेकिन दूसरी अगस्तको बहुत दिनों बाद में आखिर कातने बैठ ही गया। दो और तीन अगस्तको जो-कुछ भी काम किया उसका नतीजा है बराबर न कते हुए खराब सूतकी दो आँटियाँ, लेकिन उसमें से कुछ तो मेरी स्त्रीका काता हुआ है जो मुझे कातना सिखा रही थी और फिर कुछ आरिफ