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३५२. भेंट: 'ट्रिब्यून' के प्रतिनिधिसे

लाहौर
११ दिसम्बर, १९२४

श्री गांधी आज सुबह रावलपिंडीसे बम्बई मेल द्वारा साबरमतीको रवाना हुए। वे शामको लाहौर से गुजरे। लाहौर रेलवे स्टेशनपर 'ट्रिब्यून' के विशेष प्रतिनिधिने उनसे कोहाटके मामलेमें भारत सरकारके प्रस्तावके सम्बन्धमें भेंट की। श्री गांधीने कहा:

मैं मौलाना शौकत अली, मौलाना जफर अली और डा० किचलूके साथ रावलपिंडीमें करीब-करीब हरएक शरणार्थीसे मिला। मैंने राय बहादुर सरदार माखनसिंहसे भी मुलाकात की है। मैंने भारत सरकारका प्रस्ताव पढ़ लिया है और मुझे इसमें जरा भी सन्देह नहीं है कि वह एक चुनौती है। मैंने लोगोंको आग्रहपूर्वक यह सलाह दी है कि वे समझौते की कोई भी शर्तें स्वीकार न करें। हिन्दू और मुसलमान नेताओंकी राय लिये बिना अभी इस अवस्थामें तो मैं प्रस्तावमें कही गई बहुत-सी बातोंकी सत्यता-असत्यताके बारेमें कोई राय नहीं देना चाहता। दुर्भाग्यसे रावलपिंडीमें कोहाटके मुसलमानोंका कोई भी जिम्मेदार प्रतिनिधि नहीं था। लेकिन इतना तो मैं बिलकुल साफ देख रहा हूँ कि भारत सरकार मात्र-विभागीय जाँचके बाद इन निष्कर्षोपर पहुँची है और जिन लोगोंने यह जाँच की, उनकी नियुक्तिके सम्बन्धमें इन शरणार्थियों या मुसलमानोंका कुछ भी हाथ नहीं था और न शरणार्थियोंको अपना पक्ष सिद्ध करने का कोई अवसर ही दिया गया। हम अपने अनुभवसे जानते हैं कि किस प्रकार ऐसी जाँच अकसर गुमराह करनेवाली सिद्ध हुई है और उनमें एक ही पक्षकी बात दी गई है।

शरणार्थियों को प्रस्तावसे गहरा सदमा पहुँचा है। उनको उम्मीद थी कि इस मामले की पूरी-पूरी खुली और स्वतन्त्र जाँच कराई जायेगी और उसमें हिन्दुओं और मुसलमानों दोनोंको अपनी-अपनी बात कहनेका मौका दिया जायेगा। लेकिन ऐसा-कुछ नहीं हुआ और पण्डित मालवीयजीको दिये गये वाइसरायके उत्तरसे तो यही लगता है कि यह प्रस्ताव इस मामलेमें भारत सरकारका अन्तिम निष्कर्ष और अन्तिम निर्णय है।

ऐसी परिस्थितियोंमें यदि शरणार्थी अपने आत्म-सम्मानकी ओर ध्यान दें तो वे तबतक कोहाट नहीं जा सकते जबतक उनके और कोहाटके मुसलमानोंके बीच कोई वास्तविक और स्थायी समझौता नहीं हो जाता। ऐसा समझौता बाहरसे नहीं थोपा जा सकता और चाहे जो भी शर्तें सम्बन्धित हिन्दुओं या मुसलमानों द्वारा स्वीकृत बताई जाती हों, मैं तो यही समझ सकता हूँ कि वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूपसे दबावमें आकर स्वीकार की गई हैं। मुझे उम्मीद है कि कोहाटके मुसलमान शरणार्थियोंसे जैसे भी होगा मिलेंगे और उन्हें दोस्ती तथा पूरी सुरक्षाका वचन देकर