उत्साही व्यक्तियोंको भी काफी जोशीली मालूम हो, परन्तु मुझे उसकी चर्चा अभी नहीं करनी चाहिए।
न्यू इंडिया, १५-१२-१९२४
३५९. पत्र: कुँवरजी विट्ठलभाई मेहताको
सोमवार [ १५ दिसम्बर, १९२४ ][१]
आपका पत्र मिला। मैं १५ तारीखके[२] बाद बारडोली ताल्लुकेका दौरा करनेकी कोशिश तो अवश्य करूँगा। आप वल्लभभाईके साथ कार्यक्रम निश्चित कर लीजिएगा।
१. वहाँ कुछ चरखा प्रवृत्ति चल रही है या नहीं?
२. प्रागजी कैसे हैं?
३. कल्याणजी कहाँ हैं और कैसे हैं?
४. क्या 'नवयुग' का खर्च निकल आता है?
५. क्या रुईका संग्रह किया जा रहा है?
६. दयालजी की तबीयत ठीक हुई या नहीं?
बापूके आशीर्वाद
'नवयुग' कार्यालय
लिमड़ा चौक, सूरत
गुजराती पत्र ( जी० एन० २६७३ ) की फोटो-नकलसे।
३६०. पत्र: प्रभाशंकर पट्टणीको
मंगलवार [ १६ दिसम्बर, १९२४ ][३]
भाई फूलचन्द, अमृतलाल आदि कार्यकर्त्ता परिषद् बुलाये जानेके सम्बन्धमें विचार-विमर्श करनेके लिए यहाँ आये हुए हैं। उनका कहना है कि वे ऐसी शर्तें स्वीकार करनेको तैयार हैं कि जिनसे परिषद्का काम विवेकपूर्वक हो। वे इस बातका आश्वासन देने को तैयार हैं कि किसी भी राजाकी कोई व्यक्तिगत आलोचना न की जायगी।