पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/५०१

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३६३. पत्र: जी० ए० नटेसनको

१७ दिसम्बर, १९२४

प्रिय श्री नटेसन,

आपके ' रिव्यू' के लिए सुन्दर भविष्य की कामना करता हूँ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन रिव्यू, जनवरी, १९२५

३६४. पत्र: डाह्याभाई म० पटेलको

मार्गशीर्ष वदी ६ [ १७ दिसम्बर, १९२४ ][१]

भाई डाह्याभाई,

तुम्हारे दोनों पत्र मिल गये। मुझे लिखनेकी इच्छा तो बहुत होती है, लेकिन पूरी जानकारीके अभावमें क्या लिखूँ? तथ्योंका ठोस ज्ञान न होनेपर लिखना मुझे जरा भी पसन्द नहीं। अब तो जब मैं बेलगाँवसे वापस आ जाऊँ, तब आ जाना और अपनी बात अच्छी तरह समझाना।

मोहनदासके वन्देमातरम्

भाई डाह्याभाई मनोरदास पटेल
ताल्लुका समिति
धोलका

गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० २६९१) से।

सौजन्य: डाह्याभाई म० पटेल


२५-३०
 
  1. डाककी मुहरसे।