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किसी प्रकारका संकोच नहीं करना चाहिए। उनका विरोध, उनसे जितना बने उतना नम्र, शिष्ट और अहिंसामय तो हो किन्तु साथ ही उसमें दृढ़ताकी कोई भी कमी नहीं होनी चाहिए। दरअसल असहयोग जिस प्रकार मेरे लिए आचरणका एक सिद्धान्त है उसी प्रकार उनके लिए भी है। मैंने बार-बार कहा है कि यदि यह एक खरा सिद्धान्त है तो अपने प्रियसे-प्रिय कुटुम्बियों और मित्रोंके साथ भी इसका प्रयोग सम्भव होना चाहिए। मैंने यह बात भी एकाधिक अवसरोंपर कही है कि इस सिद्धान्तकी खोज मैंने पारिवारिक जीवनके सूक्ष्म अवलोकनके आधारपर और उस जीवनको अपनी समझके अनुसार ठीक-ठीक व्यवस्थित करते हुए की है। इसलिए जिन अपरिवर्तनवादियोंका विश्वास हो कि मैं गलतीपर हूँ, वे मेरे साथ असहयोग करके मेरा भला ही करेंगे। लेकिन, यदि उनके मनमें अपने इस निष्कर्षमें कोई सन्देह हो तो मैं कहूँगा कि उस सन्देहका लाभ मुझे मिलना चाहिए। जहाँतक मेरा सम्बन्ध है, मैं अब उन्हें और अधिक नहीं समझाऊँगा। एक अंग्रेज भाईके अनुसार, यदि मैं उन्हें और अधिक समझाता हूँ तो उसका मतलब अनुचित प्रभाव डालने की कोशिश करना होगा। समझौतेके पक्ष में मुझे जो-कुछ कहना था, वह कह चुका हूँ। मैं जल्दबाजीमें और पूरा सोचे-विचारे बिना कोई काम नहीं करता, इसलिए मैं अपना कदम जल्दी वापस भी नहीं लेता। लेकिन, अपरिवर्तनवादियोंको इस बातका भरोसा तो होगा ही कि जिस क्षण मुझे लगेगा कि मैंने 'इस ध्येयको' सचमुच 'बेच डाला' है, उसी क्षण मैं अपना कदम वापस ले लूँगा और अपनी भूलका पूरा परिमार्जन करनेकी कोशिश करूँगा। लेकिन, तबतक वे यह तो नहीं ही चाहेंगे कि मैं अपने विश्वासोंके विरुद्ध कोई काम करूँ।

सबको आना चाहिए

लेकिन, जहाँ मैं अपरिवर्तनवादियोंको और अधिक समझाना नहीं चाहता, वहाँ यह अवश्य चाहता हूँ कि वे मुझे अपनी बात समझाते रहें। मुझे ऐसे बहुत-से प्रसंग याद हैं, जब मैं गलतीपर रहा हूँ और मित्रोंने मुझे बार-बार समझाकर सही रास्तेपर ला दिया है। उनके मनमें अभी जो शंकाएँ शेष रह गई हों, उनके उत्तर भी मैं सहर्ष देना चाहूँगा। और इसलिए मैं चाहता हूँ कि जो अपरिवर्तनवादी कांग्रेस में आ सकते हों वे सबके सब अवश्य आयें। इसी प्रकार मैं चाहता हूँ कि सभी परिवर्तनवादी प्रतिनिधि भी कांग्रेस अधिवेशनमें शामिल हों। मैं समझौतेपर सिर्फ उनकी तटस्थ सम्मति ही नहीं चाहता, मैं तो चाहता हूँ कि इस संयुक्त कार्यक्रमको कार्यान्वित करनेमें वे सक्रिय रूपसे और उत्साहपूर्वक सहयोग करें। मैं उनका मार्ग-दर्शन चाहता हूँ और चाहता हूँ कि जो चीज उन्हें अच्छी न लगे उसकी वे आलोचना करें। इसके अतिरिक्त यद्यपि मैं यह नहीं चाहता कि समझौतेसे सम्बन्धित बातोंपर कांग्रेसमें मत-विभाजन हो, फिर भी कुछ ऐसे महत्त्वपूर्ण प्रश्न भी सामने आ सकते हैं, जिनपर मत विभाजन अवश्यंभावी हो जाये। इसलिए मैं चाहता हूँ कि अधिवेशनमें सभी प्रतिनिधि शामिल हों। जो प्रतिनिधि वार्षिक अधिवेशनमें शामिल होकर अपने निर्वाचकोंका प्रतिनिधित्व नहीं करता उसका प्रतिनिधि नियुक्त किया जाना बेकार है । इस वर्ष तो हर प्रतिनिधिके लिए विशेष रूपसे जरूरी है कि वह अधिवेशन में शामिल हो।