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३६८. देशभक्तिके आवेशमें पागलपन

यदि यह समाचार सच है कि मुलशीपेटाके कुछ 'सत्याग्रहियों' ने टाटा के कारखानेपर काम करनेके लिए मजदूरोंको ले जा रही एक रेलगाड़ीको तोड़-फोड़कर नाकाम कर दिया है, इंजिनके ड्राइवरको चोट पहुँचाई है और गरीब मजदूरोंको, जिनमें औरतें भी शामिल थीं, अन्धाधुंध मारा है तो उनके इस जुर्मकी जितनी निन्दा की जाये थोड़ी ही है। कहते हैं, कानून और व्यवस्थाका भंग करानेवाले और शिष्टता के नियमोंको तोड़नेवाले इन अपराधियोंने टाटाके विरुद्ध लड़ाईकी घोषणा कर दी है और उनका कहना है कि इस तरह मजदूरोंको कामपर जानेसे रोककर वे टाटाके कारखानेका बनना रोक देनेकी आशा करते हैं। यह तो अच्छे समझे जानेवाले उद्देश्यको पूरा करनेके लिए आतंकका तरीका अपनाना है। चाहे अच्छे उद्देश्यके लिए हो या बुरे उद्देश्यके लिए, सभी प्रकारकी आतंक-नीति बुरी ही है। सच तो यह है कि जो कोई जिस उद्देश्य को लेकर चलता है, उसकी समझमें वह उद्देश्य अच्छा ही होता है। जनरल डायरने जलियाँवाला बागका काण्ड एक ऐसे ही हेतुके लिए किया, जिसे वे निस्सन्देह अच्छा समझते थे (और हजारों अंग्रेज स्त्री-पुरुषोंके खयालसे भी यह हेतु अच्छा ही था)। उन्होंने सोचा कि केवल उसी एक कामको करके उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य और अंग्रेजोंकी जानें बचाई हैं। यह सही है कि यह सब उनके मनकी कल्पना-मात्र थी, किन्तु इसी कारण हम उनके विश्वासकी गहराईको तो कम नहीं आँक सकते। लॉर्ड लिटन और लॉर्ड रीडिंग हृदयसे विश्वास करते हैं कि बंगालका स्वराज्यवादी दल हिंसा की प्रवृत्ति से ओतप्रोत है। परन्तु उनका हेतु अच्छा होनेके कारण उनकी आंतक -नीतिको उचित नहीं माना जा सकता। जिस उद्देश्यको मुलशीपेटाके सिरफिरे 'सत्याग्रही' अच्छा और न्याययुक्त मानते हैं, उसीको टाटावाले और उनके समर्थक सचमुच ही दुष्टतापूर्ण मानते हैं। वे हृदयसे विश्वास करते हैं कि उनकी योजनासे चारों ओरके गाँवोंको लाभ पहुँचेगा। उनका कहना है कि जिन लोगोंका जो-कुछ लिया गया है उन्हें उसका पूरा मुआवजा दे दिया गया है। सबने खुशीसे अपनी जमीन छोड़ी है और यह योजना बम्बईके लिए एक वरदान साबित होगी और इसलिए जो इस योजनाको विफल करना चाहते हैं, वे प्रगतिके विरोधी हैं। उनको अपना यह मत रखनेका उतना ही अधिकार है जितना मुझे यह विश्वास रखनेका अधिकार है कि इस योजनासे पड़ौसके लोगोंको कोई लाभ नहीं पहुँचेगा, यह वहाँकी प्राकृतिक शोभाका नाश कर देगी। गरीब गाँववालोंको कोई समझ नहीं थी और इसलिए यह कहना कि उन्होंने राजी-खुशीसे अपनी जमीन छोड़ी है, अनुचित है। उस स्थानको छोड़ने की एवजमें जिससे उनका भावनात्मक सम्बन्ध है, कोई मुआवजा पूरा नहीं कहा जा सकता है। और यह कहना कि यह बम्बई प्रान्तके लिए एक वरदान होगा, विवादका विषय है। लेकिन अगर मैं यह मानने की गुस्ताखी करूँ कि सही तो केवल मैं ही हूँ तो