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वक्तव्य: बलगाँवम कांग्रेसकी फिजूलखर्चीपर

बहुमतसे जो फैसला करे उसका पालन करना प्रत्येक स्वराज्यवादी सदस्यके लिए जरूरी है और उसपर अवश्य ही ईमानदारीके साथ अमल किया जायेगा।

इसमें सन्देह नहीं कि इसे पढ़कर मुझे बड़ी राहत मिली; किन्तु मैं चाहता हूँ कि दास महोदय प्रत्येक स्वराज्यवादीको इस बन्धनसे मुक्त कर दें, क्योंकि अगर किसीको यह समझौता ठीक न जँचे तो उसे चाहिए कि वह तुरन्त उसे अस्वीकार कर दे। इस समझौतेको सिर्फ कागजपर लिख रखनेके लिए ही स्वीकार नहीं करना चाहिए। इसके लिए निरन्तर धैर्यपूर्वक प्रयत्न करनेकी तथा कठिन अनुशासनमें रहनेकी जरूरत है। इसके अन्तर्गत प्रत्येक सदस्यको अपने हाथका कता दो हजार गज सूत प्रतिमास नियमित रूपसे भेजना होगा। इसकी पूर्ति दूसरेके काते सूतसे तभी की जा सकती है जब सदस्य स्वयं सूत कातनेमें असमर्थ हो या वास्तवमें वह सूत कातना न चाहता हो; परन्तु वैसी हालतमें भी ऐसी आशा की जाती है कि वह स्वयं सूत कातनेके कामकी निगरानी करेगा। समझौतेको मंजूर करनेके पहले सभाको उसके फलितार्थोको अच्छी तरह समझ लेना चाहिए।

इस समझौतेके सम्बन्धमें अपरिवर्तनवादियोंके साथ मैंने जो बातचीत की थी, उसमें शुरूमें यह एतराज उठाया गया था कि क्या स्वराज्यवादी दलकी सदस्यता कांग्रेसकी सदस्यतासे अलग हो सकती है; किन्तु श्रीनिवास अय्यंगारने मुझे बताया था कि स्वराज्यवादी अपने संविधानको बदलकर उसे कांग्रेस संविधानके अनुकूल बनानेका विचार कर रहे हैं। अपरिवर्तनवादियोंने यह मानकर कि स्वराज्यवादी दलकी सदस्यता-शर्त और ध्येय वही होंगे जो कांग्रेसके हैं, समझौतेको भारी बहुमतसे स्वीकृत कर लिया।

[ अंग्रेजीसे ]
न्यू इंडिया, २४-१२-१९२४

३७७. वक्तव्य: बेलगाँवमें कांग्रेसकी फिजूलखर्ची पर

२५ दिसम्बर, १९२४

इसके बाद गांधीजीने इस आशयका एक वक्तव्य दिया कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीके खर्चमें फिजूलखर्ची बहुत ज्यादा हुई है। सजावट वगैरह और ठहरनेके प्रबन्धपर बहुत ज्यादा रुपया खर्च किया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधियोंसे इस समय लिया जानेवाला १० रुपयेका शुल्क बहुत अधिक है। उन्होंने इस बातकी भी शिकायत की कि खुद मेरी कुटियापर बहुत पैसा खर्च किया गया है और उसे वैसा नहीं बनाना चाहिए था। उन्होंने कहा, छपाईपर भी बहुत पैसा खर्च होता है और मैं चाहता हूँ कि यह सब फिजूलखर्ची रोक दी जाये। अगर मैं कमेटीका सदस्य होता तो मैं आवास व्यवस्था आदिपर होनेवाले खर्चेमें कटौती कर देता। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रतिनिधियोंका शुल्क, जो अभी १० रुपये है, वह घटाकर १ रुपया