पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/५२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४८६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कर दिया जाये, क्योंकि मुझे इस आशयकी शिकायतें मिली हैं कि प्रतिनिधियोंको यात्रा भाड़ा आदिपर करीब १०० रुपये खर्च करने पड़ते हैं। विषय समितिने शुल्क घटाकर १ रुपया स्वीकार कर लिया।

इसके बाद निश्चय किया गया कि जन-संख्याके आधारपर जो प्रान्त खद्दर और विदेशी वस्त्रोंके बहिष्कारके मामलेमें सर्वोत्तम परिणाम दिखायेगा, उसी प्रान्तमें कांग्रेसका अगला अधिवेशन किया जाये।

[ अंग्रेजीसे ]
बॉम्बे क्रॉनिकल, २६-१२-१९२४

३७८. भाषण: बेलगाँव कांग्रेसकी विषय समितिमें[१]

२५ दिसम्बर, १९२४

पिछले बृहस्पतिवारको अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीको विषय-समितिमें महात्मा गांधीने एक मर्मस्पर्शी भाषण दिया। उसका पूरा पाठ नीचे दिया जा रहा है:

कल शाम ठीक तीन बजे अधिवेशनका आरम्भ होगा। कुछ मिनट तो राष्ट्रगान आदिमें जायेंगे। स्वागत समितिके अध्यक्ष अपना भाषण देनेमें १५ मिनटसे अधिक समय नहीं लेंगे। मेरा इरादा अपना भाषण पढ़नेका नहीं है। वह आज शामको आप लोगोंमें वितरित कर दिया जायेगा। आप कृपया उस भाषणको ध्यानपूर्वक पढ़ लें; क्योंकि ऐसा मान लिया जायेगा कि भाषण पढ़ दिया गया है। मैं केवल प्रस्तावनाके रूपमें कुछ सीधी-सादी बातें कहूँगा। उसमें ३० मिनटसे अधिक समय नहीं लगेगा। मैं प्रारम्भमें हिन्दुस्तानीमें और फिर अंग्रेजीमें बोलूँगा। इसमें कुल मिलाकर ३० मिनटसे अधिक नहीं लगेंगे।

कल औपचारिक रूपसे भाषणोंके पढ़े जानेके बाद जो सबसे पहला प्रस्ताव पेश किया जायेगा, वह कलकत्तेके समझौतेके सम्बन्धमें होगा। मौलाना हसरत मोहानी उस प्रस्तावका विरोध करेंगे। इस सम्बन्धमें मैं अपने कुछ विचार प्रकट करना चाहता हूँ। आप लोग प्रतिनिधि हैं और यहाँ सभी प्रतिनिधि मौजूद हैं। इसलिए मैं आपको सादर चेतावनी देता हूँ कि यदि आप सारा बोझ मेरे ही कन्धोंपर रख देना चाहते हैं तो आप इस प्रस्तावको मंजूर न करें। मुझे कहना चाहिए कि इस बोझको उठानेकी सामर्थ्य मेरे कन्धोंमें नहीं है। मैं इस बोझको केवल आपकी सहायताके बलपर ही उठाना चाहता हूँ। जबतक आपमें से प्रत्येक पूरी तरह मन, वचन और कर्मसे सहायता देनेके लिए तैयार नहीं होगा, तबतक हमारा उद्देश्य सिद्ध नहीं हो सकेगा। हमारा उद्देश्य विदेशी कपड़ेका बहिष्कार करना है और ऐसा इस देशके

  1. महादेव देसाई द्वारा दी गई इस भाषणको रिपोर्ट "इम्प्लीकेशन्स ऑफ नॉन वायलेंस" शीर्षकसे १-१-१९२५ के यंग इंडियामें छपी थी।