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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दूरदर्शिता नहीं है? ईश्वर हमें मानव-स्वभावकी ऐसी निन्दा करनेसे बचाये। जबतक संसार होगा, तबतक अनेक मतभेद भी रहेंगे; और अपरिवर्तनवादियोंकी सबसे बड़ी सफलता तो यह होगी कि वे अपने तथाकथित विरोधियोंको अपने सबसे सच्चे मित्र बना लें और उनको चरखेके धर्ममें दीक्षित कर लें। विश्वास रखिए, यदि अपरिवर्तनवादियों में व्यवहार-बुद्धि होगी, यदि वे चरखेके प्रति अपना कर्त्तव्य पूरा करेंगे, और उसके लिए मर मिटने को तैयार रहेंगे तो वे स्वराज्यवादियोंको अवश्य ही इस धर्ममें दीक्षित कर लेंगे। यदि लोग चरखेको नहीं अपनाते तो इसका कारण यह है कि वे उसकी उपयोगिता नहीं समझते। यह आपका काम है कि आप उन्हें उसकी उपयोगिता समझायें। मैं चरखेका गुण-गान अपने इस अगाध विश्वासके कारण ही करता हूँ कि इसीसे देशको मुक्ति मिलेगी। हिन्दू-धर्मका उपदेश आस्था रखनेके अतिरिक्त अन्य कुछ है ही नहीं। यदि आप यह मानते हुए भी कि चरखा दूसरोंके लिए लाभप्रद नहीं है, उसमें विश्वास करते हैं तो हमारे लिए तो वही सब-कुछ है। काशी विश्वनाथके मन्दिरमें जो पत्थर की मूर्ति है, वह मौलाना हसरत मोहानीके लिए भलेही सिर्फ पत्थर हो सकती है;

मौलाना: मैं ऐसा कभी महसूस नहीं करता।

लेकिन मैं तो जब वहाँ जाता हूँ, मेरा हृदय अवश्य ही द्रवित हो जाता है। आस्थाका ही खास महत्त्व होता है। मैं जब किसी गायको देखता हूँ, तब वह मुझे भक्ष्य पशु नहीं लगती, बल्कि मेरे तई करुणाकी एक कविता होती है। मैं उसकी पूजा करता हूँ और सारी दुनियाके खिलाफ होनेपर भी उसकी पूजाकी हिमायत करूँगा। ईश्वर एक ही है, किन्तु वह मुझे पत्थरमें, अंग्रेजोंमें और यहाँतक कि देशद्रोही तकमें अपना दर्शन देता है। मैं तो देशद्रोहीसे भी घृणा नहीं करूँगा। मेरा धर्म मुझे इस हदतक ले जाता है। मैं प्रत्येक अपरिवर्तनवादीसे कहता हूँ कि यदि आप अपने धर्मके योग्य हैं और अहिंसक हैं तो आप स्वराज्यवादियोंसे हाथ मिलायेंगे और कहें कि "हमने जो-कुछ किया है, उसके लिए आप हमें क्षमा करें।" आपको कोई अधिकार नहीं कि आप किसीके प्रति दुर्भावना रखें और किसीके विरुद्ध कुछ भी कहें। आप केवल इस उत्तम मन्त्रपर आचरण करें। इससे बढ़िया मन्त्र मैं आपको नहीं दे सकता। ईश्वर आपकी सहायता करे और आपको इस मन्त्रपर आचरण करनेकी शक्ति दे तो वर्षके अन्तमें सब अच्छा ही देखनेको मिलेगा।

[ अंग्रेजीसे ]
बॉम्बे क्रॉनिकल, ३०-१२-१९२४