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३७९. तार: अनन्तरामको

[ २६ दिसम्बर, १९२४ से पूर्व ][१]

दीवान अनन्तराम
शरणार्थी शिविर
रावलपिंडी

कृपया शरणार्थी परिवारोंकी सूची और उनकी आवश्यकताएँ लिखें। आशा है कोई बेलगाँव आयेगा।

गांधी

हस्तलिखित अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० १०५१७) से।

३८०. टिप्पणियाँ

नपी-तुली बात

'यंग इंडिया' में कहा गया था कि खद्दरके टिकाऊ न होनेके बारेमें लोग एकमत नहीं हैं। बीजापुरके श्री एस० जी० पुजारीने इस सिलसिले में निम्नलिखित पत्र भेजा है जिसमें उन्होंने अपनी बात अत्यन्त नपे-तुले शब्दोंमें कही है:

मैं सचमुच खादीका ही काम करता हूँ। मेरी देख-रेखमें १२० चरखे और १३ करघे चल रहे हैं। प्रति सप्ताह ३०० गज खादी तैयार कराता हूँ। मैं यह काम २१ अगस्त, १९२१ से कर रहा हूँ। मेरा तरीका यह है कि मैं यहीं रुई खरीदता हूँ, कतैयोंको पूनियाँ देता हूँ, हर कतैयेका सूत अलग-अलग जमा करता हूँ और एक थानके पूरे तानेमें एक ही कर्तयेका काता हुआ सूत लगाता हूँ। ऊनके सम्बन्ध में भी मेरी यही प्रक्रिया रहती है, किन्तु सूतकी अपेक्षा ऊनका धागा अधिक मोटा होता है। इस तरीकेसे कपड़ा इकसार और मजबूत बनता है और अधिक दिनतक टिकता है। मैं अपने यहाँसे खद्दर खरीदने वाले लोगोंके ऐसे उदाहरण पेश कर सकता हूँ, जिनकी धोतियाँ, कमीजें और कोट सामान्यतः एक साल चलते हैं।

  1. इस तारीखका निर्धारण तारमें बेलगाँवके उल्लेखसे किया गया है, जहाँ २६ और २७ दिसम्बरको कांग्रेसका अधिवेशन हुआ था।