पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/५३३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४९७
उद्घाटन भाषण: बेलगांव कांग्रेसमें

मनकी एक अपनी ही दुनिया है। मन स्वर्गको नरक बना सकता है।[१] जहाँतक बंगालके कांग्रेस-संगठनोंके विरुद्ध शिकायतका सम्बन्ध है, आज उनकी स्थिति जैसी भी हो, यदि हाथसे सूत कातना कांग्रेसके मताधिकारका अंग बन जाता है तो जो भी कांग्रेस-संगठन हाथ-कताईको प्रोत्साहन नहीं देता और उसका संगठन नहीं करता वह जीवित नहीं रह सकेगा।

जहाँतक बंगालका दौरा करनेका सम्बन्ध है, मैं जल्दीसे-जल्दी, अवसर मिलते ही, विभिन्न जिलोंका दौरा करने आऊँगा। किन्तु उसका समय निश्चित करना कठिन है। २३ जनवरीके बाद मेरे समयपर पहला अधिकार कोहाटके शरणार्थियोंको है। और २३ जनवरीतक मेरे एक-एक दिनका कार्यक्रम निश्चित हो चुका है। यह कहना कठिन है कि पंजाबका काम खत्म हो जानेपर भाग्य मुझे कहाँ ले जायेगा।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २६-१२-१९२४

३८१. उद्घाटन भाषण: बेलगाँव कांग्रेसमें

२६ दिसम्बर, १९२४

अध्यक्ष लँगोटी पहने और अपने हाथमें खद्दर लिये मंचसे उतरकर भाषण स्थानपर आये। लोगोंने उत्साहपूर्वक उनका जय-जयकार किया। उन्होंने अपना थैला मंचपर लटकाकर एक काफी ऊँची तिपाईपर आसन ग्रहण किया और अपनी घड़ी सामने खोलकर रख दी। इसके बाद स्वागत समितिके अध्यक्षने चन्दनकी छोटी-सी सन्दूकचीमें रखी कर्नाटकके इतिहासकी एक प्रति यह कहते हुए उनको भेंट की कि "महोदय, यह आपकी जानकारीके लिए है।" अध्यक्षने यह भेंट हर्ष-ध्वनिके बीच मुक्त मुस्कानके साथ ग्रहण की। इसके बाद, उन्होंने हिन्दीमें अपना भाषण आरम्भ किया:[२]

"भाई गंगाधरराव,[३] भाइयो और बहनो,

आपने मुझे यह उत्तम स्थान दिया है, इसीलिए मैं आप सब भाइयों और बहनोको कोई बड़ी तकरीर सुनाना नहीं चाहता। जो-कुछ भी मैं इस स्थानसे कहना चाहता था वह सब भाई और बहनें जानती हैं। मेरा भाषण,[४] एड्रेस, व्याख्यान (जो है) उसका अनुवाद हिन्दीमें, कन्नड़में, मराठीमें और अंग्रेजीमें छप गया है और मैंने गंगाधररावजीसे प्रार्थना की थी कि वह आप सब डेलिगेट भाइयोंको कल शामतक मिल जाये। मुझे उम्मीद है कि आपको मेरा व्याख्यान मिल गया है और आप सबने उसे अच्छी तरहसे पढ़ लिया है।

२५-३२
 
  1. मिल्टनकी पैराडाइज़ लॉस्ट
  2. यहाँतक का अंश अंग्रेजी रिपोर्टसे अनूदित है।
  3. स्वागत-समितिके अध्यक्ष।
  4. देखिए अगला शीर्षक।