पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/५६७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५३१
भाषण: कलकत्ता समझौतेपर

मैं इस "रिजोल्यूशन" (प्रस्तावको) पेश करता हूँ और मेरे भाई लोग एक मतसे खुदाको धोखा नहीं देंगे। मैंने देशबन्धु दासको, पण्डित मोतीलाल नेहरूको जान लिया है, वह जो एक बात कह देते हैं फिर उससे नाहीं नहीं करते। आप इस "रिजोल्यूशन" को मंजूर करें या न करें। अगर आप न करेंगे तो मैं मानता हूँ कि अब भी चरखेसे सब-कुछ मिल जायेगा। चरखेकी बात आप समझ लें। यह अगर आप करना चाहते हैं तो इसको मंजूर करें। अगर "नो-चेंजरस" (अपरिवर्तनवादी) स्वराज्यवादीसे, स्वराज्यवादी "नो-चेंजरस" से मुहब्बत करना चाहते हैं; भाई केलकरने कहा है कि दोनोंको रिस्पान्सिव कोआपरेशन (पारस्परिक सहयोग) करना चाहिए। अगर आप इसको समझते हैं, मानते हैं तो हाथ ऊँचा करें; अगर नहीं मानते तो हाथ ऊँचा न करें। मैं कोई दूसरा उपाय सोचूँगा हिन्दुस्तानको आजाद करनेका। जो प्रस्तावके पक्षमें हैं, हाथ ऊँचा करें।[१]

[प्रस्तावपर मत लेने से पूर्व] अध्यक्षने अंग्रेजीमें बोलते हुए कहा:

जो लोग प्रस्तावके पक्षमें हैं, वे मेरी इस चेतावनीको समझकर अपने हाथ ऊँचे करें कि उनके और देशके बीचमें ईश्वर साक्षी है और केवल तभी हाथ उठायें, जब सचमुच प्रस्तावको मंजूर करना और यथाशक्ति उसपर अमल करना चाहते हों।

श्रीयुत गंगाधरराव देशपाण्डेने अध्यक्षके इन शब्दोंको कन्नड़ भाषामें दुहराया। अध्यक्षने हाथ उठानेका आदेश देते हुए कहा:

केवल प्रतिनिधि ही हाथ उठायें। वे ही हाथ उठायें जिन्होंने प्रस्तावको समझ लिया हो।

उसके बाद उन्होंने ऊँचे उठे हुए हाथ गिने और कहा:

मैं घोषित करता हूँ कि प्रस्ताव स्वीकृत हुआ। (देर तक जोरकी तालियाँ)।

इसके बाद अधिवेशन दूसरे दिन ११ बजेतकके लिए स्थगित कर दिया गया।[२]

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके ३९ वें अधिवेशनकी रिपोर्ट।

  1. यहाँ तक का अंश मूल हिन्दीसे है।
  2. यह अन्तिम अंश अंग्रेजीसे अनूदित है।