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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इसके बाद उपर्युक्त प्रस्तावका हिन्दी और कन्नड़ अनुवाद क्रमशः पण्डित सुन्दरलाल और श्री के० मुदवेडकरने पढ़कर सुनाया।

श्रीमती सरोजिनी देवीके सिवा अन्य सभी प्रतिनिधियोंने खड़े होकर प्रस्तावको सर्व-सम्मतिसे पास कर दिया।

[ अंग्रेजीसे ]
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके ३९ वें अधिवेशनको रिपोर्ट।

३८९. भाषण: कोहाट और गुलबर्गाके दंगोंसे सम्बन्धित प्रस्तावपर[१]

२७ दिसम्बर, १९२४

भाइयो और बहनो,

आप भाइयोंने इस प्रस्तावके[२]बारेमें बहुत-से बयान सुन लिये। मेरे पास एक-दो और भी चिट्ठी आ गई हैं कि कुछ और भाई भी बहस करना चाहते हैं। लेकिन मैंने उनको कह दिया है कि अब वह मुझे क्षमा दे दें। मैं नहीं समझता कि इसपर किसी भाईको कुछ और ज्यादा जानने की जरूरत है।

एक भाईने लिखा है कि इस प्रस्तावमें पंचायत के बारेमें लिखा है; उसमें नामके बारेमें जानना चाहते हैं। इसमें दो बातें रखी गई हैं। जो यूनिटी कमेटीने पंचायत कायम की है, वह कुछ काम न करे तो और कोई दूसरी पंचायत बना लें। यूनिटी कमेटीकी पंचायतमें जितने नाम हैं, वह मैं भूल गया हूँ। आप अखबारमें देख लेंगे। उसमें मैं भी हूँ और शौकत अली और दूसरे मुसलमान भाई हैं। वह भी छोड़ना नहीं चाहता हूँ। मेरा खयाल है कि जो पंचायत बन गई है वह जो करेगी, [ वह यह कि ] जो-कुछ कोहाटमें हुआ है, उसका बयान मालूम करेगी। रावलपिंडीमें जाकर मालूम होगा कि क्या होगा, क्या हो सकता है, क्या नहीं। जो कुछ किया जा सकता है, किया जायेगा। आप जो भाई इस प्रस्तावको पसन्द करते हैं, बदस्तूर हाथ ऊँचा करें।[३]

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके ३९ वें अधिवेशन की रिपोर्ट।

  1. यह बेलगाँव कांग्रेसमें दिया गया था।
  2. पं० मोतीलाल नेहरू द्वारा पेश किये गये इस प्रस्तावमें 'गुलबर्गाके दंगों, हिन्दुओंके कोहाटसे निष्कासन तथा संरक्षण देनेमें स्थानीय अधिकारियोंकी असफलताकी निन्दा की गई थी। इसमें लोगोंको सलाह दी गई थी कि वे इस सम्बन्धमें भारत सरकारके निष्कर्षको स्वीकार न करें और तबतक अपना निर्णय स्थगित रखें जबतक कि एकता-सम्मेलन द्वारा नियुक्त या कोई और प्रतिनिधिक निकाय घटनाओंकी जाँच-पड़ताल न कर ले और उसके बारेमें निर्णय न दे दे। प्रस्तावमें गुलबर्गाके दंगोंमें पीड़ित लोगोंके प्रति सहानुभूति प्रकट की गई थी।
  3. प्रस्ताव सर्वसम्मतिसे पास हो गया।