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प्रस्ताव: बेलगाँव कांग्रेसमें

अर्थ यह न लगाया जाये कि जो प्रस्ताव हमने कल पास किया है उसमें हमें उनकी सहमति प्राप्त थी। लेकिन मैं आशा करता हूँ कि इस कांग्रेसकी ओरसे मैं उन्हें यह आश्वासन दे सकता हूँ कि उन्होंने जो-कुछ कहा है उसपर हम सादर विचार करेंगे और यह कांग्रेस या सभी कांग्रेसी---स्त्री और पुरुष---इस बातकी पूरी-पूरी कोशिश करेंगे कि प्रत्येक दलके लिए जिसे भारतके हितकी चिन्ता है और जिसका लक्ष्य भारतके लिए स्वराज्य है, कांग्रेसमें प्रवेश करनेके दरवाजे यथासम्भव खुले रखे जायें। इन शब्दोंके साथ मैं इस घटनाको यहीं समाप्त करता हूँ और डा० बेसेंटसे पुनः यह निवेदन करता हूँ कि वे या अन्य दल काँग्रेसमें शामिल हों या न हों, लेकिन कांग्रेस उनसे और प्रत्येक दलसे यह आशा करेगी कि जिस किसी बातको वे उचित और ठीक मानें, कांग्रेसको अपनी उन सभी बातोंमें उनकी सहानुभूति और समर्थन प्राप्त होता रहेगा।

[ अंग्रेजीसे ]
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके ३९ वें अधिवेशनकी रिपोर्ट।

३९३. प्रस्ताव: बेलगाँव कांग्रेसमें[१]

२७ दिसम्बर, १९२४

इसके बाद अध्यक्षने एक-एक करके निम्नलिखत प्रस्ताव पेश किये, प्रत्येकपर मत लिये और उन्हें पारित घोषित किया। ये प्रस्ताव अंग्रेजीमें पण्डित जवाहरलाल नेहरूने, कन्नड़में श्रीयुत मुदवेडकरने तथा हिन्दीमें पण्डित सुन्दरलालने पढ़े।

प्रस्ताव-संख्या १०: राष्ट्रीय शिक्षा-संस्थाएँ

कांग्रेसका यह दृढ़ मत है कि देशका भविष्य युवकोंके हाथोंमें है और इसलिए वह विश्वास करती है कि प्रान्तीय कमेटियाँ सभी राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थाओंको जीवित रखनेके लिए अभीतक जितना प्रयत्न किया गया है उससे कहीं अधिक जोरदार प्रयास करेंगी। लेकिन कांग्रेसका जहाँ यह मत है कि मौजूदा राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थाओंको कायम रखा जाये और नई संस्थाएँ खोली जायें वहीं कांग्रेसका यह मत भी है कि ऐसी कोई भी संस्था राष्ट्रीय नहीं मानी जायेगी, जिसमें शिक्षाका माध्यम कोई भारतीय भाषा नहीं है, जो हिन्दू-मुस्लिम एकताको और अस्पृश्योंके बीच शिक्षा प्रचार और अस्पृश्यता-निवारणको सक्रिय प्रोत्साहन नहीं देतीं, जिसमें हाथ कताई, धुनाई, शारीरिक शिक्षा और आत्म-रक्षाके प्रशिक्षणको अनिवार्य नहीं बनाया जाता और जिसमें अध्यापक और १२ वर्षसे ऊपरकी आयुवाले विद्यार्थी, कामके दिनोंमें प्रतिदिन कमसे-कम आधा घंटा कताई नहीं करते और जिसमें अध्यापक और छात्र नियमतः खद्दर नहीं पहनते।

  1. ये प्रस्ताव कांग्रेसके अध्यक्ष गांधीजीकी ओरसे पेश किये गये थे।