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समापन-भाषण: बेलगाँव कांग्रेसमें

आज भी हम पैदा कर सकें तो मैं आज भी सन् इक्कीस-जैसी बात करने लगूँ। विदेशी कपड़ेका नाम लेकर पत्थरके ढेर भरे थे।

यह बात मैं जानता हूँ कि दो काम हम साथ-साथ नहीं कर सकते कि सत्यका नाम लें और असत्य [ का आचरण ] करें। अगर हम सत्यका नाम लें तो असत्यका ( आचरण ) न करें, नहीं तो शरीर भी जल जायेगा। इससे मेरा दिल तो जल ही जाता है। कोई मेरे सामने झूठी प्रतिज्ञा करे, खुदाकी कसम खाये तो मैं इसे बरदाश्त नहीं कर सकता। मुझे गाली दो, मारो, बूटसे मारो, मेरे ऊपर थूको, मैं विश्वास दिलाता हूँ कि मुझे गुस्सा कभी नहीं आयेगा। लेकिन प्रतिज्ञा करके उसका पालन न करो तो गुस्सेकी अग्निसे मेरा शरीर जल उठेगा। एक स्त्री अपवित्र होकर मेरे सामने पवित्रताका दावा करे तो मेरे दिलमें होता है कि मैं मर जाऊँ। एक मनुष्य पवित्रताका दावा करे और अपवित्र हो तो मैं चाहता हूँ कि मैं मर जाऊँ उसे न देखूँ। आपने जो मुहब्बत बताई है, कृपा करके मुझे जिम्मेदारीकी जगहमें रखा है, उसको भंग न करना चाहें तो इसे समझ लें। अगर आप उसमें मुझे रखना चाहते हैं तो मुझे इसी तरह रखें। इससे बढ़कर अच्छी बात यह है कि स्वराज्य-वादी और नाफेरवादी [ अपरिवर्तनवादी ] ऐसे मिल जायें जैसा डाक्टर बेसेंटने कहा है। एक-एक लकड़ी अलग रहे तो टूट जाती है, मगर एक गठुरमें मजबूत रहती हैं।

हम भूल जायें कि स्वराज्यवादी बुरे हैं। पवित्र आत्माके लिए सब आत्माएँ पवित्र हैं। आत्माका गुण क्या बताया गया है? आत्मा स्फटिक है। शंकराचार्यने कहा कि आत्मा तो दोष-रूप नहीं है। दोष-रूप तो माया है। आपके दिलमें शक्ति आ गई तो द्वेष किये बिना आप दूसरों-की बुराई निकाल देंगे। हम जब अविश्वास करते हैं, तभी दोष-रूप बनते हैं। अगर एतबारका बदला धोखा है तो एतबार करनेवालेका क्या बुरा होगा? धोखा देनेवालेका ही बुरा होगा। भाई जवाहरसे मैं कहूँ कि मैं तुमको बेटे से ज्यादा मानता हूँ और ऐसामें सिर्फ उनसे काम लेनेके लिए ही कहूँ तो वह धोखा है। जवाहरलालकी पूजा मैं कौन करनेवाला हूँ? उसकी पूजा तो जगत् करेगा; उसपर पुष्प वृष्टि करेगा।

इस वक्त मैं एकको नहीं, दूसरेको नहीं, दोनोंको कहना चाहता हूँ--आप एक सालमें इतना काम करें कि जिससे हमारी शक्ति बढ़ जाये और स्वराज्य नजदीक आया है, ऐसा हम सब महसूस करें।[१]

तदनन्तर अंग्रेजीमें भाषण देते हुए अध्यक्षने कहा:

अभी मैंने अपने हिन्दी भाषणमें अपना हृदय आपके सामने खोलकर रख दिया है। जो-कुछ मैंने हिन्दीमें कहा है, उसे फिरसे यथावत् दुहरा जाना मेरे लिए असम्भव है। फिर भी मैं एक बात कहना चाहता हूँ कि आप प्रतिनिधियोंने जितना सौजन्य मेरे प्रति दिखाया है, जितने ध्यानसे मेरी बात सुनी है, जितना प्रेम मेरे प्रति दर्शाया है, मैं नहीं समझता कि उससे अधिकका दावा कोई अन्य अध्यक्ष, कोई अन्य सभापति कर सकता है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यहाँ कांग्रेस-

  1. इसके बादका अंश अंग्रेजीसे अनूदित है।