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भाषण: बेलगाँवकी अस्पृश्यता-परिषद् में,

सूत्रसे स्वराज्यवादी और अपरिवर्तनवादी बँधकर एक हुए हैं वह कभी नहीं टूटेगा।" (जोरसे तालियाँ) मेरा काम समाप्त हो चुका है। (देर तक तालियाँ।)

अध्यक्ष अभी भाषण मंचसे उतरे ही थे कि उन्हें कांग्रेसकी ओरसे स्वागत समितिके प्रति आभार प्रकट करनेके कर्त्तव्यकी याद दिलाई गई। उन्होंने पुनः मंचपर आकर कहा:

यदि मैं डा० हार्डिकर द्वारा प्रशिक्षित कुशल और नेक स्वयंसेवकोंको और स्वागत समिति के सदस्योंको धन्यवाद न देता तो मैं अपनेको कदापि क्षमा न करता। (हर्ष-ध्वनि) किन्तु स्वराज्यके लिए अत्यन्त जोशमें होनेके कारण मैं स्वयंसेवकोंको तथा स्वागत समितिके सदस्योंकी बात बिलकुल भूल ही गया था।

मैं जानता हूँ कि उन्होंने धन्यवाद पानेके लिए सेवा नहीं की है। उन्होंने जो महान् सेवा की है, वह अपने आपमें ही पुरस्कार है। किन्तु धन्यवाद देना मेरा कर्त्तव्य था और यदि मैं आप सबको धन्यवाद न देता तो मैं अपने कर्त्तव्यसे च्युत हो जाता। ईश्वर सभी स्वयंसेवकोंका तथा स्वागत समितिके सदस्योंका कल्याण करे। (हर्ष-ध्वनि)

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके ३९ वें अधिवेशनकी रिपोर्ट।

३९७. भाषण: बेलगाँवकी अस्पृश्यता-परिषद् में

[२७ दिसम्बर, १९२४]

बेलगाँवमें अस्पृश्यता-निवारण परिषद् में मैंने जो भाषण किया था, उसकी रिपोर्ट श्री महादेवभाई देसाईने ली थी। उसमें मेरे विचार प्रायः पूरी तरह समाविष्ट हो गये हैं। इसलिए उसे यहाँ देता हूँ:

मित्रो,

मेरे लिए अस्पृश्यताके विषयमें कुछ कहना फजूल है। मैं बार-बार कह चुका हूँ कि यदि इस जन्ममें मुझे मोक्ष न मिले तो मेरी आकांक्षा है कि अगले जन्म में भंगीके घर मेरा जन्म हो। मैं वर्णाश्रमको मानता हूँ और इसी लिए जन्म और कर्म दोनोंको मानता हूँ। पर मैं इस बातको नहीं मानता कि भंगी कोई पतित योनि है। मैंने ऐसे कितने ही भंगी देखे हैं जो पूज्य हैं और ऐसे कितने ही ब्राह्मण भी देखे हैं, जिनकी पूजा करना मेरे लिए मुश्किल पड़ता है। ब्राह्मणके घरमें जन्म लेकर ब्राह्मणोंकी या भंगियोंकी सेवा कर सकनेकी अपेक्षा, मैं भंगीके घर पैदा होकर भंगियोकी सेवा ज्यादा कर सकूँगा और दूसरी जातियोंको भी समझा सकूँगा। मैं भंगियोंकी अनेक तरहसे सेवा करना चाहता हूँ। मैं उन्हें यह सीख देना नहीं चाहता कि वे ब्राह्मणोंसे घृणा करें। घृणासे मुझे अत्यन्त दुःख होता है। भंगियोंका मैं उत्कर्ष चाहता हूँ, पर मैं अपना यह धर्म नहीं समझता कि उन्हें पश्चिमी तरीकोंसे अपना हक प्राप्त करनेकी सीख दूँ। इस तरह कुछ भी हासिल करना हमारा धर्म नहीं; मार-

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