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भाषण: गोरक्षा परिषद् में

चम्पारनमें एक जगह गो-रक्षाके बारेमें अपने विचार सुनाते हुए मैंने कहा था कि जिसे गो-रक्षा करनी हो, वह यह बात भूल जाये कि हमें मुसलमानों या ईसाइयोंसे गो-रक्षा कराना है। हम आज यह समझते मालूम होते हैं कि दूसरे धर्मके लोग गो-मांस या गो-वध छोड़ें, इसीमें गो-रक्षाकी समाप्ति है। मुझे इस बातमें कोई अर्थ दिखाई नहीं देता।

मगर इससे कोई यह न समझे कि किसीका गो-वध करना मुझे पसन्द है या गो-वधको मैं सहन कर सकता हूँ। मैं यह दावा स्वीकार नहीं करता कि गो-वधसे मेरी अपेक्षा किसी दूसरेकी आत्माको अधिक दुःख होता है। मुझे नहीं लगता कि किसी हिन्दूको गो-वधके कारण मुझसे ज्यादा सख्त चोट पहुँचती होगी। मगर मैं क्या करूँ? मैं अपना धर्म पालन करूँ या दूसरेसे कराऊँ? मैं दूसरेको ब्रह्मचर्य का उपदेश दूँ और खुद व्यभिचार करूँ, तो मेरे उपदेशका क्या अर्थ? मैं गो-मांस भक्षण करूँ और मुसलमानोंको रोकूँ, यह कैसे हो सकता है? मगर मैं गो-वध न करता होऊँ, तब भी मुसलमानोंको गो-वध करनेसे बलात् रोकना मेरा धर्म नहीं।[१] मुसलमानोंसे जबरदस्ती गो-वध बन्द कराना उन्हें जबरदस्ती हिन्दू बनाने जैसा है। हिन्दुस्तानमें हिन्दू राज्य हो तो भी गो-वधको अधर्म न माननेवालोंको गो-वधके लिए सजा नहीं मिलनी चाहिए।[२]

मेरे मनमें गो-रक्षा कोई सीमित चीज नहीं है। मैं गो-रक्षाकी प्रतिज्ञा करता हूँ, इसका अर्थ यह नहीं कि हिन्दुस्तानकी ही गायोंको बचाऊँगा। मैं तो संसार-भरकी गायोंको बचानेका नियम रखूँगा। मेरा धर्म यह सिखाता है कि मुझे अपने आचरणसे जता देना चाहिए कि गो-वध या गो-भक्षण करना पाप है और उसे छोड़ देना चाहिए। मेरा मनोरथ तो इतना बड़ा है कि सारी पृथ्वीके लोग गायकी रक्षा करने लगें। मगर इसके लिए मुझे पहले अपना ही घर अच्छी तरह साफ करना चाहिए।

दूसरे प्रान्तोंकी बात जाने दूँ। गुजरातकी ही बात करूँ तो कहूँगा कि गुजरातमें भी हिन्दुओंके हाथों गो-वध होता है। शायद आप न मानें। मगर आपको पता न होगा कि गुजरातमें बैलको गाड़ीमें जोतकर, गाड़ी में खूब बोझा भरकर उसे आर भौंकी जाती है, जिससे उसके शरीरसे खूनकी धार चलती है। आप कहेंगे कि यह गो-वध नहीं कहा जा सकता, बैल-वध भले कहलाये। मैं तो इसे गो-वध ही कहूँगा, क्योंकि बैल गायकी सन्तान है। फिर शायद आप कहेंगे कि ताड़नको वध नहीं कहा जा सकता। मगर हिंसाकी व्याख्या दूसरेको दुःख देना या सताना है। अगर बैलके जबान हो तो वह जरूर कहे कि रोज-रोज आर भोंककर सतानेसे तो मैं ज्यादा पसन्द करूँगा कि एक दिन छूरी चलाकर मुझे कत्ल कर दो। इसलिए बैलपर इस तरह जुल्म करनेको मैं गायकी हिंसा समझता हूँ। एक सिन्धी मुझे कलकत्तेमें मिला था। वह मुझसे वहाँ

  1. यंग इंडियामें प्रकाशित अंग्रेजी विवरणमें एक वाक्य और जुड़ा है: "मुसलमान कहते हैं कि इस्लाम उनको गो-वधकी अनुमति देता है।"
  2. अंग्रेजी विवरणमें यह वाक्य इस प्रकार है: "मेरी रायमें तो भारतमें स्वराज्य हो जानेपर भी हिन्दू बहुमतके लिए यह अनुचित और अविवेकपूर्ण ही होगा कि वह एक कानून बनाकर मुसलमान अल्पसंख्यकों को गो-वध बन्द करनेपर विवश करे।"