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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

गायपर सदा जो हिंसा होती है उसकी बातें करता था। एक बार उसने मुझे ग्वालेके घर चलकर फूँके द्वारा गायका दूध निकालनेकी क्रिया देखनेको कहा। वह भयंकर दृश्य मैंने खुद देखा। मुझे विश्वास है कि वह क्रिया आज भी जारी है। उसे करनेवाले हिन्दू हैं। दुनियामें कहीं भी गाय-बैल हमारे यहाँकी तरह बेहाल नहीं होंगे। हमारे बैलोंके शरीरपर हड्डी और चमड़ीके सिवा कुछ नहीं होता। फिर भी हम उनसे अपार बोझा उठवाते हैं। जबतक यह होता है तबतक हम किसीसे गो-वध बन्द करनेकी माँग नहीं कर सकते।

'भागवत' में हम पढ़ते हैं कि भारतवर्षका नाश कैसे हुआ। उसके अनेक कारणोंमें एक कारण हमारा गो-रक्षा छोड़ देना भी बताया गया है। गो-रक्षा करनेकी अशक्तिका हिन्दुस्तानकी गरीबीके साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है। आप और मैं भी शहरके रहनेवाले हैं। इसलिए हमें गरीबों की स्थितिका अन्दाजा नहीं हो सकता। करोड़ोंको एक जून भी पूरा खानेको नहीं मिलता। करोड़ों लोग सड़े हुए चावल या आटा और नमक-मिर्च खाकर गुजर-बसर करते हैं। ऐसे लोग गायकी रक्षा कैसे करें?

हिन्दुस्तानमें अनेक पिंजरापोल जैनोंके हाथमें हैं। इन पिंजरापोलोंमें बीमार जानवरोंको रखा जाता है। वहाँ जैसी चाहिए, वैसी व्यवस्था और सुविधा नहीं होती। हमारे पास पिंजरापोल ही नहीं, सुन्दर डेरियाँ भी होनी चाहिए। बड़े-बड़े शहरोंमें बालकोंके लिए भी शुद्ध दूध नहीं मिल पाता।[१] गरीब मजदूरोंकी स्त्रियाँ बालकोंको दूधके बजाय आटा और पानी घोलकर पिलाती हैं। २३ करोड़ हिन्दुओंकी आबादीवाले हिन्दुस्तानमें शुद्ध दूध न मिले, इसका इतना अर्थ तो है ही कि हमने गो-रक्षा छोड़ दी है।[२]

गोरक्षाके विषयमें मुझसे पाठ लेना हो तो मेरा पहला पाठ यह है कि मुसलमानों और ईसाइयोंको भूल जाओ और अपने धर्मका पालन करो। भाई शौकत अलीको मैं साफ कहता आया हूँ कि उनकी खिलाफतकी गायको बचाऊँगा तो ही मेरी गाय बचेगी। मैंने मुसलमानोंके हाथमें अपनी गरदन क्यों दी है? गायकी रक्षाके लिए। मुसलमानोंसे मैं गायको बचाना चाहता हूँ, इसका अर्थ यह है कि उनके दिलपर असर करके गायको बचाना चाहता हूँ। जबतक उनमें इतनी समझ न आ जायेगी कि हिन्दू भाइयोंके खातिर गो-वध नहीं करना चाहिए, तबतक मैं धीरज रखूँगा। अपने कृत्यसे, अपनी खुदकी गो-रक्षा और गो-भक्तिसे ही मैं उनका दिल बदल सकूँगा।

मेरी दृष्टिमें गो-वध और मनुष्य-वध एक ही चीज है। इन दोनोंको रोकनेका उपाय यही है कि हम अहिंसा सीखें और मारनेवालेको प्रेमसे अपना लें। प्रेमकी

  1. यंग इंडिया, २९-१-१९२५ में प्रकाशित अंग्रेजी विवरणमें ये शब्द और जुड़े हैं: 'अहमदाबाद-जैसे समृद्ध शहरमें भी कुछ ...'।
  2. यंग इंडियाके अंग्रेजी विवरणमें यह वाक्य इस प्रकार है: पिंजरापोलोंकी इतनी विस्तृत व्यवस्थाके बावजूद हमारे देशमें गो-रक्षा कैसे की जाती है, यह इसीसे जाहिर हो जाता है कि गरीब लोगोंको अच्छा शुद्ध दूध मिल ही नहीं पाता। आशा है कि इससे आपकी समझमें आ जायेगा कि गो-रक्षा न कर पानेके अनेक दुष्परिणामोंमें से ही एक यह भी है कि लोग कंगाली और भुखमरीके शिकार बनते जाते हैं।