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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सम्बन्धित नरेशके हवाले नहीं करेगी। प्रजाको दी गई गारंटी और नरेशोंको उनके दर्जे के बारेमें दी गई गारंटीके पीछे यह अभिधारणा है कि देशी रियासतोंमें अच्छा शासन होगा।

रेखा-गणित (ज्यामिति) कुछ अभिधारणाएँ होती हैं। उसी प्रकार राजनीति-शास्त्रमें भी कुछ अभिधारणाएँ होती हैं। जब देशी नरेशोंको उनके दर्जेके बारेमें गारंटी दी जाती है तो ऐसा मान लिया जाता है कि वे अपनी प्रजाके लिए प्रगतिशील और उदार शासनकी व्यवस्थाकी गारंटी करेंगे। मैं कुछ ही समय बाद भावनगर में काठियावाड़ राज्य परिषद्की अध्यक्षता करनेवाला हूँ और देशी रियासतोंके बारेमें मुझे जो-कुछ कहना है, वह मैं उसी अवसरपर कहूँगा। इस परिषद्की अध्यक्षता करनेके लिए मुझे बहुत समय पहले निमन्त्रित किया गया था। लेकिन अपनी गिरफ्तारी से पहले मैं सत्याग्रहका झण्डा फहरा चुका था और मुझे लगा कि इस वक्त मेरे ऐसे किसी सम्मेलनकी अध्यक्षता स्वीकार करनेसे देशी नरेशोंकी स्थिति अटपटी हो जायेगी। मैं उन्हें किसी अटपटी स्थितिमें डालकर अपने और उनके बीचके सुन्दर सम्बन्धोंको खराब नहीं करना चाहता था। आप जानते हैं कि मैं अहिंसामें कट्टर विश्वास रखता हूँ। देशी नरेशों और उनकी प्रजाके बीचके मधुर सम्बन्धोंको कटु बनाना मेरे सिद्धान्तोंके विरुद्ध होगा। लेकिन मुझे आपको यह विश्वास दिलानेकी जरूरत नहीं है कि मैं इन रियासतोंकी जनताको और उनके वाजिब दावोंको कभी नहीं भूल सकता। देशी रियासतोंके प्रश्नको सुलझानेमें मेरी इच्छा यही है कि ऐसा वातावरण रहे जिसमें लोग एक-दूसरे की बात सद्भावसे सुनें और समझें और इस तरह इसे निपटा दिया जाये। मैं किसी पक्षके मनमें कोई दुराग्रह नहीं पैदा करना चाहता। मेरी एकमात्र इच्छा यही है कि नरेशोंके दर्जे और उनकी प्रजाके अधिकारोंका आदर किया जाये। मेरी हार्दिक इच्छा है कि खादी और चरखेके प्रचार कार्य में मैं देशी नरेशोंकी सहानुभूति प्राप्त करूँ। मैंने अपना समूचा विश्वास चरखेपर केन्द्रित कर दिया है। मेरा विश्वास है कि उसीपर इस देशकी मुक्ति निर्भर करती है।

महात्माजीके चले जानेके बाद श्री केलकरने उनके भाषणका आशय मराठीमें संक्षेपमें बताया और इसके बाद अपना अंग्रेजी भाषण पढ़ा।

[ अंग्रेजीसे ]
बॉम्बे क्रॉनिकल, २-१-१९२५