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४००. पत्र: कुमारी मैडिलीन स्लेडको

गाड़ी में
३१ दिसम्बर, १९२४

प्रिय बहन,

मैं आपसे क्षमा चाहता हूँ कि आपको इससे पहले न लिख सका। मैं लगातार सफरमें रहा। आपने जो २० पौंड भेजे, उनके लिए आपका आभारी हूँ। यह रकम चरखेके प्रचारमें इस्तेमाल की जायेगी।

मुझे सचमुच खुशी है कि आपने अपने प्रथम आवेगमें न बहकर, यहाँके जीवनकी तैयारी करनेके लिए समय लगानेका निश्चिय किया है। अगर साल-भरके परीक्षणके बाद भी आपको यहाँ आनेकी प्रेरणा महसूस हो तो आपका हिन्दुस्तान आना शायद उचित रहेगा।

आपका,
मो० क० गांधी

कुमारी मैडिलीन स्लेड
६३, बेडफोर्ड गार्डन्स
कॅम्पडेन हिल,
लन्दन, डब्ल्यू० ८

अंग्रेजी पत्र (सी० डब्ल्यू० ५१८१) से।

सौजन्य: मीराबहन

४०१. भाषण: अ० भा० मुस्लिम लीग अधिवेशनमें[१]

बम्बई
३१ दिसम्बर, १९२४

श्रीमती नायडू दक्षिण आफ्रिका होकर आई हैं और वहाँके सम्बन्धमें उन्होंने आपको सब कुछ बताया है। मुझे जितना-कुछ कहना था वह मैं कांग्रेसमें कह चुका हूँ। मैं कह नहीं सकता कि सरकारसे कहकर हम सहायता प्राप्त कर सकते हैं या नहीं। मेरी समझमें, जबतक हम सशक्त नहीं होंगे तबतक केनियामें जो-कुछ हो रहा है, वह हमें सहना ही होगा। एक समय था जब दक्षिण आफ्रिकामें सत्याग्रह चल रहा था और सरकार भी कहती थी कि भारतीय लोग सम्राट्के प्रति निष्ठावान नहीं रह

  1. यह भाषण उस प्रस्तावका समर्थन करते हुए दिया गया था जिसमें नेटाल बरोज अध्यादेशकी निन्दा की गई थी; इस अध्यादेशके द्वारा नेटालवासी भारतीयोंका नगरपालिका मताधिकार छीन लिया गया था।