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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

भी जी नहीं चुराया, हालाँकि मामूली तौरपर उसके लिए बहुत कम लोग तैयार होते हैं और फिर एक लिहाजसे तो यह काम दूसरे तमाम कामोंसे कहीं ऊँचे दरजेका है। इसमें कोई शक नहीं कि सफाई-सम्बन्धी काम स्वयंसेवकोंकी तमाम तालीमकी बुनियाद समझी जानी चाहिए।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १-१-१९२५

४०३. कैसे करना चाहिए?

कांग्रेसने एक बहुत ही अहम कदम आगे बढ़ाया है या जैसा कि कुछ लोग कहते हैं उसने एक पागल आदमीके कहनेसे भारी बेवकूफी कर डाली है। कांग्रेसके सदस्योंको, चाहे वे इच्छापूर्वक कातें या अनिच्छा-पूर्वक, कताई-सदस्यताको अंजाम देकर इस कदमका औचित्य सिद्ध करना होगा। जो काम अबतक कुछ ही लोग कर रहे थे, वह अब कांग्रेसके सदस्य बननेके इच्छुक तमाम लोगोंको करना होगा। कांग्रेस अपने हर सदस्यसे व्यवस्थित तौरपर श्रम करनेकी आशा रखती है। यदि वह उस श्रमको स्वयं करनेपर रजामन्द न हो तो उसे दूसरेका श्रम खरीदकर---दूसरेसे सूत कतवाकर---देना होगा।

काम स्पष्टतः बड़ा मुश्किल है। काम यदि आसान होता तो इसके सफल होनेपर जिस बड़े नतीजेकी आशा रखी जाती है, उसकी आशा भी नहीं रखी जा सकती। और जब सालमें सिर्फ चार-चार आने इकट्ठे करने पड़ते थे, तब भी तो काम मुश्किल ही मालूम पड़ता था। आज भी कांग्रेसके रजिस्टरमें सब प्रान्तों को मिलाकर ५०,००० भी ऐसे सदस्य दर्ज नहीं हैं। अब कांग्रेस अपने हर सदस्यसे उम्मीद रखती है कि वह माहवार २,००० गज सूत स्वयं काते या दूसरोंसे कतवा कर इतना ही सूत दे। इस तरह कार्यकर्त्ताओंको कातनेवालोंके साथ लगातार सम्पर्क रखना होगा। मेरी रायमें सदस्यताकी इस नई शर्तका जो-कुछ भी महत्त्व है, वह इसी में है। इससे लोगोंको बड़े ऊँचे ढंगकी राजनीतिक शिक्षा मिलती है।

अब हरएक प्रान्तके लिए निश्चित तौरपर सफलता प्राप्त करनेका रास्ता यही है कि वह जितने मतदाताओंकी उम्मीद रखता हो उनकी कमसे-कम तादाद मुकर्रर कर ले और जबतक उतने मतदाता न मिलें तबतक दम न ले। अब सारे हिन्दुस्तानमें कमसे-कम तादादमें गिननेपर भी कोई ५०,००,०००० चरखे तो चलते ही होंगे। ये सब कातनेवाले आसानीसे कांग्रेसके सदस्य भी बन सकते हैं। जो लोग उनसे काम ले रहे हैं वे अब उन्हें हर रोज आधा घंटा देशके लिए कताई करनेको आमन्त्रित कर सकते हैं। इसके लिए किसी नये संगठनकी जरूरत नहीं है। रुई, पूनियाँ आदि तो तैयार ही हैं। इन्तजाम करनेवालोंको सिर्फ इतना ही करना होगा कि स्वेच्छासे कातनेवालों या सदस्य बननेके लिए कातनेवालों को जितनी पूनियाँ चाहिए, उतनी पूनियाँ कांग्रेसको भेंट कर दें। कातनेवालोंको तो कांग्रेसको सिर्फ २,००० गज