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बोल्शेविज्मका अर्थ एक इनाम

एक इनाम

मेरे अनुरोध करनेपर श्रीयुत रेवाशंकर जगजीवन झवेरीने चरखा और खादीके सन्देशके विषयपर सबसे बढ़िया निबन्ध लिखनेवालेको एक हजार रुपयेका पुरस्कार देना स्वीकार किया है। निबन्धमें इस उद्योगके विनाशका इतिहास शुरूसे देना होगा और उसके पुनरुद्धारकी क्या सम्भावना है, इसपर चर्चा करनी होगी। अन्य शर्तें अगले अंकमें प्रकाशित की जायेंगी।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १-१-१९२५

४०५. बोल्शेविज्मका अर्थ

नीचे दिया गया लेख[१] श्री एम० एन० रायने बोल्शेविज्मपर लिखे मेरे लेखके[२]उत्तरमें भेजा है। मैं उसे खुशीसे प्रकाशित करता हूँ, लेकिन यह कहे बिना नहीं रह सकता कि अगर श्री रायके लेख में बोल्शेविज्मका सही चित्रण हुआ है तो बोल्शेविज्म बहुत घटिया चीज है। जिस तरह मैं पूँजीवादका जुआ बरदाश्त नहीं कर सकता, उसी तरह श्री राय द्वारा वर्णित बोल्शेविज्मका जुआ भी मैं बरदाश्त नहीं कर सकता। मैं मनुष्य-जातिका हृदय परिवर्तन करनेमें विश्वास रखता हूँ, उसके विनाशमें नहीं। कारण बहुत स्पष्ट है। हम सब अत्यन्त अपूर्ण और कमजोर प्राणी हैं और यदि हम सब लोगों को मारना शुरू कर दें, जिनकी रीति-नीति हमें पसन्द नहीं तो इस पृथ्वीपर एक भी आदमी जीता न बचेगा। भीड़शाही किसी एक व्यक्तिके स्वेच्छाचारी शासनका ही अत्यन्त बृहत्तर रूप है। लेकिन मैं आशा करता हूँ, बल्कि मुझे लगभग पूर्ण विश्वास है कि बोल्शेविज्मका सच्चा स्वरूप श्री एम० एन० राय द्वारा खींचे गये इस चित्रसे कहीं ज्यादा अच्छा है।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १-१-१९२५
  1. देखिए परिशिष्ट १
  2. देखिए "बोल्शेविज्म या आत्म-संयम, २१-८-१९२४।