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४१०. काठियावाड़ियोंसे

परिस्थितियाँ मुझे काठियावाड़ ले जा रही हैं। काठियावाड़ियोंके प्रेमको मैं समझता हूँ, पहचानता हूँ। लेकिन मुझे तो काम चाहिए। मैं अपनी पद्धतिमें और आजके शिक्षित वर्गकी पद्धतिमें भेद देख रहा हूँ। इस भेदके बावजूद मेरा अध्यक्ष बनाना हास्यास्पद है। मैंने जिन प्रस्तावोंका मसविदा तैयार किया था वे यद्यपि कांग्रेसमें पारित हो चुके हैं तथापि अनेक लोग मुझसे कहते हैं कि इन प्रस्तावोंपर अमल कोई नहीं करेगा। ऐसी भयंकर बातपर मैं कैसे विश्वास कर सकता हूँ।

मेरे पास जिस तरह कांग्रेसके सम्मुख कहनेके लिए कोई नई बात नहीं थी, उसी तरह कदाचित् काठियावाड़से कहनेके लिए भी न हो। सत्य तो यह है कि मुझे जो-कुछ कहना था वह सब मैं कह चुका हूँ। मुझे तो हेर-फेरके साथ केवल उन्हीं बातोंको दुहराना है। मेरा मन तो केवल गरीबोंमें ही रमा रहता है, मुझे तो भंगियोंके लिए, मजदूरोंके लिए स्वराज्य चाहिए। वे किस तरह सुखी हों, मैं हर पल इसी बातपर विचार करता रहता हूँ। हम उनके कन्धोंपर से कब उतरेंगे? हमें अपने अधिकारोंकी पड़ी है, किन्तु मुझे तो गरीबोंके अधिकारोंकी और अपने कर्त्तव्यकी बात करनी है।

यदि मैं अपनी बात काठियावाड़ियोंको समझा सकूँ तो कितना अच्छा हो। क्या यह ऐसी बात है जो सम्भव नहीं? मनुष्य आशापर जीता है। यही बात मेरे सम्बन्धमें भी है। किसी-न-किसी दिन हिन्दुस्तानको मेरी बात सुननी ही पड़ेगी। इसका आरम्भ काठियावाड़ ही क्यों न करें?

व्यवस्थापकोंने मेरे लिए वातावरण तैयार करनेका बीड़ा उठाया है। वे मेरे लिए इतना तो करेंगे ही कि जहाँ देखूँ वहाँ खादी नजर आये। वे काठियावाड़की कारीगरी और कलाओंकी प्रदर्शनी भी अवश्य रखेंगे। बेलगाँवमें प्रदर्शनी कितनी सुंदर थी? काठियावाड़में क्या कम कलाएँ हैं? काठियावाड़की वनस्पतियोंमें क्या नहीं है? काठियावाड़के गाय-बैल कितने सुन्दर हैं? क्या उनके दर्शन होंगे? मैं पश्चिमकी महिमा देखने नहीं जाता, वह तो मैंने पश्चिममें ही बहुत देखी है। लेकिन मैं तो देश से निर्वासित देशी वस्तुओंका स्मरण करता हूँ, उन्हें देखना चाहता हूँ।

काठियावाड़ अपनी शिष्टताके लिए तो प्रसिद्ध है ही। स्वागत समितिसे मेरी प्रार्थना है कि वह शिष्टताकी अतिमें समय नष्ट न करे। समयकी मर्यादा नहीं है, किन्तु मनुष्य देहकी तो है। हमें इस क्षणभंगुर शरीरकी सहायतासे अनेक काम करने हैं, इसलिए हमें एक-एक क्षणका सदुपयोग करना उचित है।

इस कारण मैं चाहता हूँ कि कार्यवाहक इस बातकी सावधानी रखें कि अपना प्रत्येक कार्य हम समयपर कर सकें। जिन-जिन प्रस्तावोंको परिषद् में रखना आवश्यक लगता हो, यदि उनके मसविदे पहलेसे तैयार कर लिये गये होंगे तो हम उनपर