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अध्यक्षीय भाषण: काठियावाड़ राजनीतिक परिषद् में

है। हमारे देश में सात लाख गाँव हैं, यह बात हमें ब्रिटिश साम्राज्यके अन्तर्गत आ जानेके बाद मालूम पड़ी। इन सात लाख गाँवोंमें इसके पहले किसी सरकारने प्रवेश नहीं किया था, किन्तु आज वहाँ केलिको[१]और मँजलीने[२]प्रवेश कर लिया है।

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन, १८-१-१९२५

४२३. अध्यक्षीय भाषण: काठियावाड़ राजनीतिक परिषद् में[३]

८ जनवरी, १९२५

मित्रो,

काठियावाड़ राजनीतिक परिषद्का अध्यक्ष पद मुझे अपने जेल जानेसे पहले ही स्वीकार करनेको कहा गया था, लेकिन उस समय मैंने इस सम्मानजनक पदकी जिम्मेदारियाँ लेनेसे इनकार कर दिया था। जिन कारणोंसे इसे मैंने अस्वीकार किया था, चूँकि अब वे नहीं रह गये हैं, इसलिए इस सम्मानको मैंने अब स्वीकार कर लिया है, हालाँकि कुछ झिझकके साथ--झिझक इसलिए कि राजनीतिक सवाल पर मेरे विचारोंमें और अन्य बहुत-से लोगोंके विचारोंमें बहुत गहरा अन्तर है। इसके अलावा, यह तथ्य कि मैं चालू वर्षके लिए कांग्रेसका अध्यक्ष हूँ, मेरी स्थितिको कुछ अटपटी बना देता है। वहीं एक भार इतना ज्यादा है कि मैं उसका समुचित निर्वाह नहीं कर सकता और उसके साथ इस वर्ष इस परिषद्की गतिविधियोंका भी निर्देशन कर सकना मेरी सामर्थ्य से लगभग बाहरकी बात होगी। इसलिए यदि आपकी आजकी कार्यवाहीकी अध्यक्षता करनेका मतलब ऐसा कोई दायित्व उठाने से हो तो मैं कह दूँ कि मैं उसके साथ न्याय करनेकी हालतमें बिलकुल नहीं हूँ। इसके अलावा, मैं यहाँ अध्यक्षकी हैसियतसे जो विचार रखूँ, यदि उन्हें महज इसी कारण कांग्रेसके विचार माना जाये, क्योंकि मैं इस वर्ष कांग्रेसका भी नेतृत्व कर रहा हूँ, तो यह अनुचित होगा।

इसलिए मेरे लिए यह आरम्भ में ही स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि देशी रियासतों के सम्बन्धमें मेरे विचारोंका कांग्रेसके सदस्योंके विचारोंसे कोई सम्बन्ध नहीं है। मेरे विचार मेरे निजी विचार हैं। इनपर कांग्रेसके विचारोंकी कोई छाप नहीं है।

यदि मुझे इस परिषद्का अध्यक्ष होने के योग्य समझा गया है तो उसका कारण मैं सोचता हूँ यही है कि मैं काठियावाड़का निवासी हूँ और इस कारण भी कि मेरे इस परिषद् के कार्यकर्त्ताओंसे निकटके सम्बन्ध हैं। यह तो एक संयोगकी ही बात है कि मैं इस समय कांग्सका भी नेतृत्व कर रहा हूँ।

  1. और
  2. महीन कपड़े की एक किस्म।
  3. परिषद् भावनगर में हुई थी।