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अध्यक्षीय भाषण: काठियावाड़ राजनीतिक परिषद् में

कारण अधीर हो उठते हैं। सभी महत्वपूर्ण चीजोंकी तरह असहयोगके लिए भी पहलेसे तैयारी करना जरूरी है। इच्छा करने मात्रसे कोई व्यक्ति असहयोगी नहीं हो जाता। अनुशासन अनिवार्य है। मुझे नहीं मालूम कि काठियावाड़के किसी हिस्से में लोगोंने आवश्यक अनुशासनका पाठ पढ़ा है। आवश्यक अनुशासनकी शिक्षा पानेके बाद शायद असहयोग करनेकी जरूरत ही नहीं होगी।

हालत जैसी है, उसमें मैं काठियावाड़में और भारतके अन्य भागों में भी इस बातकी जरूरत देखता हूँ कि प्रत्येक व्यक्ति अपनेको तैयार करे। प्रत्येक व्यक्तिको सेवा, त्याग, सत्य, अहिंसा, आत्म-संयम और धैर्य आदिकी भावना अपनेमें पैदा करनी चाहिए। इन गुणोंको विकसित करने के बाद उन्हें रचनात्मक कार्योंमें लगना जरूरी है। यदि हम जनताके बीच शान्त ढंगसे काम करें तो बहुत-से सुधार अपने आप ही हो जायेंगे।

राजनीतिक वर्ग

काठियावाड़ अपने राजनीतिक वर्गके लिए प्रसिद्ध है। यह वर्ग अतिशय विनम्रताका दिखावा करता है और परिणामस्वरूप इसमें ढोंग, भीरुता और जी हुजूरीके दुर्गुण आ गये हैं। इस वर्ग के लोग शिक्षित हैं और इसलिए उन्हें सुधारोंके मामलेमें सबसे आगे बढ़ना चाहिए। अगर वे चाहें तो जनताके लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। जहाँ-जहाँ ये राजनीतिक अधिकारी चरित्रवान व्यक्ति हैं वहाँ हम लोगों में सुख-सन्तोष पाते हैं। यह कहने की जरूरत नहीं है कि मेरी यह उक्ति राजनीतिक व्यक्तियोंके पूरे वर्ग के लिए है। मैं यह नहीं कहना चाहता कि मेरा कथन उस वर्ग के प्रत्येक सदस्यके बारेमें सच है। बल्कि इसके विपरीत, मैं जानता हूँ कि कुछ अच्छेसे-अच्छे कार्यकर्त्ता इसी वर्गसे आये हैं। अतः इस वर्गके प्रति मैं कभी निराश नहीं हुआ हूँ। यदि यह वर्ग राजस्व बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि शुद्ध सेवा-भावसे राज्यकी सेवा करे तो बहुत भला हो सकता है।

अन्य लोग

फिर, जिन लोगोंने राज्यकी नौकरी न करके कोई स्वतन्त्र पेशा अपनाया है उनके लिए रचनात्मक सेवा-कार्य करना बहुत सरल है। मैं उनमें उपयुक्त गुणोंका विकास देखना चाहता हूँ। हमें मौन कार्यकर्ताओं और शुद्ध लड़ाकोंकी जरूरत है जो जनता के बीच अपनेको घुला-मिला दें। इस प्रकारके कार्यकर्त्ता अँगुलियोंपर गिने जा सकते हैं। क्या काठियावाड़के प्रत्येक गाँवमें एक-एक भी ऐसा कार्यकर्त्ता है? मैं जानता हूँ कि इसका उत्तर 'नहीं' में है। जिस वर्गके लोग मेरा यह भाषण पढ़ेंगे उन्हें ग्रामीण जीवनका शायद ही कोई अनुभव हो। जिन्हें कुछ है, वे उसे पसन्द नहीं करेंगे। तथापि भारत और इसीलिए काठियावाड़ भी, गाँवोंमें ही बसता है।

चरखा

यह सेवा किस प्रकार की जा सकती है? यहाँ मैं पहला स्थान चरखेको देता हूँ। मैंने चरखेके विरुद्ध बहुत-कुछ सुना है। लेकिन मैं जानता हूँ कि जिस चीजको आज गाली दी जा रही है उसीको सुदर्शन चक्रकी भाँति पूजा जायेगा और वह